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फिर एनटीसीए पहुंचा लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग

कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र में राजनीति का प्रमुख केंद्र रहा लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग के मामले में एनटीसीए ने संज्ञान लिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 06:36 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 06:36 PM (IST)
फिर एनटीसीए पहुंचा लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग
फिर एनटीसीए पहुंचा लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र में राजनीति का प्रमुख केंद्र रहा लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग का एक बार फिर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने संज्ञान लिया है। प्राधिकरण ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से मार्ग की वर्तमान स्थिति को लेकर पूरी रिपोर्ट मांगी है। इधर, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने इस संबंध में लैंसडौन वन प्रभाग से मार्ग की वर्तमान स्थिति पर रिपोर्ट देने को कहा है।

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लैंसडौन वन प्रभाग की ओर से इन दिनों लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। विभाग की मानें तो करीब तीस लाख की विधायक निधि से हो रहे इस कार्य के दौरान चमरिया स्त्रोत व सिगड्डी स्त्रोत के मध्य सड़क में हुए गड्ढों को भरकर वाहनों की आवाजाही के योग्य बनाना है। इधर, एनटीसीए ने इस मामले में मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से जवाब-तलब किया है। प्राधिकरण के डीआइजी (वन) की ओर से मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेजे एक पत्र में लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग पर अनाधिकृत रूप से किए जा रहे निर्माण कार्यों के संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। पत्र में उच्चतम न्यायालय में इस मार्ग को लेकर दायर एक वाद का भी जिक्र किया है। न्यायालय ने जारी की थी गाइडलाइन

वर्ष 2019 में लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा था। 29 जुलाई 2019 को उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड शासन को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग पर निर्माण से पूर्व वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा के अधीन अनुमति लेनी आवश्यक होगी। बगैर अनुमति के सड़क में किसी भी तरह की गतिविधि नहीं की जाएगी। यहां यह भी बताना बेहद जरूरी है कि प्रदेश सरकार की ओर से राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड में भेजा है। संभावना है कि 11 जून को होने वाली बोर्ड की बैठक में इस पर कोई निर्णय आ सकता है।


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