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लाइसेंस की राह में स्टाफ का रोड़ा

कोटद्वार के राजकीय बेस चिकित्सालय में बनाई गई ब्लड सेपरेशन यूनिट शोपीस बनकर रह गई है। दरअसल स्टाफ न होने के कारण केंद्र से यूनिट संचालन के लिए लाइसेंस जारी नहीं हो पा रहा है। चिकित्सालय प्रशासन ने यूनिट में स्टाफ की तैनाती को लेकर शासन में पत्र भेजा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 05:36 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 05:36 PM (IST)
लाइसेंस की राह में स्टाफ का रोड़ा
लाइसेंस की राह में स्टाफ का रोड़ा

संवाद सहयोगी, कोटद्वार: कोटद्वार के राजकीय बेस चिकित्सालय में बनाई गई ब्लड सेपरेशन यूनिट शोपीस बनकर रह गई है। दरअसल, स्टाफ न होने के कारण केंद्र से यूनिट संचालन के लिए लाइसेंस जारी नहीं हो पा रहा है। चिकित्सालय प्रशासन ने यूनिट में स्टाफ की तैनाती को लेकर शासन में पत्र भेजा है।

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राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार पर पौड़ी जनपद की 70 प्रतिशत आबादी निर्भर है। साथ ही उत्तर प्रदेश की तहसील के मरीज भी यहां उपचार के लिए आते हैं। क्षेत्र में डेंगू का भी प्रकोप रहता है। अक्सर डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स के लिए देहरादून अथवा अन्य महानगरों की दौड़ लगानी पड़ती है। ऐसे में शासन ने वर्ष 2019 में चिकित्सालय में ब्लड बैंक सेपरेशन यूनिट को मंजूरी प्रदान की। चिकित्सालय प्रशासन ने ब्लड बैंक की छत पर ब्लड सेपरेशन यूनिट के लिए भवन का निर्माण जनवरी 2020 में पूर्ण कर दिया। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद शासन ने मशीनों की खरीद के लिए 50 लाख की धनराशि स्वीकृत कर दी, जिसके बाद चिकित्सालय प्रशासन ने मशीनों की खरीद कर उन्हें नवनिर्मित भवन में रख दिया।

मशीनों की खरीद के बाद चिकित्सालय प्रशासन ने दिसंबर 2020 में केंद्र में लाइसेंस के लिए आवेदन किया। महीनों बीत गए हैं, लेकिन आज तक केंद्र ने ब्लड सेपरेशन यूनिट के संचालन की हरी झंडी नहीं दिखाई है। चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डा. आदित्य कुमार तिवारी ने बताया कि यूनिट संचालन के लिए पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण लाइसेंस जारी नहीं हो पा रहा है।

यह है वर्तमान स्थिति

राजकीय बेस हास्पिटल में बनी ब्लड सेपरेशन यूनिट में सेंटर फ्यूज रेफ्रीजरेटर, प्लाज्मा एक्सप्रेशर मेनुअल, प्लेटलेट्स इन्क्यूवेटर, रक्त को सुरक्षित रखने के लिए दो डीप फ्रीजर सहित डिजिटल वाट वैलेंस सहित अन्य मशीनें स्थापित की जा चुकी हैं। यूनिट संचालन के लिए पैथोलाजिस्ट, टेक्नीशियन, सुपरवाइजर, लैब असिस्टेंट, काउंसलर सहित सफाई कर्मियों की जरूरत है। लेकिन, यूनिट में अभी तक इन पदों पर कोई तैनाती नहीं हुई है। प्रमुख अधीक्षक डा. आदित्य कुमार तिवारी ने बताया कि लाइसेंस जारी करने से पूर्व केंद्र में स्टाफ की स्थिति का ब्योरा मांग रहा है। यूनिट में स्टाफ न होने के कारण रिपोर्ट नहीं भेजी जा रही। ऐसे में लाइसेंस जारी नहीं हो पा रहा। बताया कि स्टाफ की तैनाती के संबंध में केंद्र में पत्र भेजा गया है।


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