शोपीस बनी मशीन, भटक रहे मरीज
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : करीब सवा करोड़ की लागत से कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में लगी लिथोट्रिप्सी
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : करीब सवा करोड़ की लागत से कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में लगी लिथोट्रिप्सी मशीन पूरी तरह शोपीस बनी हुई है। हालात यह है कि गुर्दे की पथरी के ऑपरेशन को क्षेत्रीय जनता महानगरों के चक्कर काटने को विवश है। दरअसल, चिकित्सालय में लिथोट्रिप्सी विशेषज्ञों की कमी के कारण इस तरह की परेशानियां हो रही हैं। हैरानी की बात तो यह है कि महकमे ने करोड़ों की लागत से चिकित्सालय में मशीन तो लगा दी, लेकिन विशेषज्ञों की तैनाती आज तक नहीं की।
पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का दायित्व संभाल रहे तत्कालीन विधायक सुरेंद्र ¨सह नेगी ने कोटद्वार के राजकीय संयुक्त चिकित्सालय को उच्चीकृत करते हुए न सिर्फ बेस चिकित्सालय का दर्जा दिलवाया, बल्कि चिकित्सालय में करोड़ों रुपये की अत्याधुनिक मशीनें भी स्थापित करवाई। उस दौरान मशीनों को उपयोग में भी लाया जाता था। लेकिन सत्ता परिवर्तन का असर चिकित्सालय में लगी अत्याधुनिक मशीनों पर पर भी पड़ा। हालात यह हैं करोड़ों की लागत से चिकित्सालय में लगाई गई लिथोट्रिप्सी मशीन, एमआरआइ जैसी मशीनों में आज तक विशेषज्ञों की तैनाती नहीं हो पाई है। नतीजा, चिकित्सालय में लगी यह मशीनें महज शोपीस बनकर रह गई हैं।
लिथोट्रिप्सी मशीन एक नजर
बगैर चीरा-टांका के किडनी की पथरी निकालने के लिए 2016 में चिकित्सालय में इस मशीन को स्थापित किया गया। करोड़ों की लागत से लगी इस मशीन का प्रशिक्षण संबंधित कंपनी ने चिकित्सालय में तैनात शल्य चिकित्सक को दे दिया। मशीन स्थापित होने के बाद कुछ दिन इस मशीन से पथरी के ऑपरेशन हुए, लेकिन सत्ता परिवर्तन होने के बाद नई सरकार ने उक्त शल्य चिकित्सक का अन्यत्र स्थानांतरण कर दिया। जिस वजह से पिछले लंबे समय से इस मशीन के जरिये कोई ऑपरेशन नहीं हुए हैं। 'लिथोट्रिप्सी मशीन में तकनीकि खराबी होने के कारण ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। समस्या का निराकरण होते ही ऑपरेशन पुन: शुरू कर दिए जाएंगे। डॉ.आइएस सामंत, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय संयुक्त चिकित्सालय, कोटद्वार'