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गायब बांडधारी चिकित्सकों से वसूले 1.80 करोड़ रुपये

बांड की सेवा शर्तों का उल्लंघन कर ड्यूटी से गायब रहने वाले नौ बांडधारी चिकित्सकों से श्रीनगर मेडिकल कालेज प्रशासन ने एक करोड़ 80 लाख रुपये की बांड धनराशि वसूल ली।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 10:27 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 10:27 PM (IST)
गायब बांडधारी चिकित्सकों से वसूले 1.80 करोड़ रुपये
गायब बांडधारी चिकित्सकों से वसूले 1.80 करोड़ रुपये

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: बांड की सेवा शर्तों का उल्लंघन कर ड्यूटी से गायब रहने वाले नौ बांडधारी चिकित्सकों से श्रीनगर मेडिकल कालेज प्रशासन ने एक करोड़ 80 लाख रुपये की बांड धनराशि वसूल ली। श्रीनगर मेडिकल कालेज से राजकीय शुल्क पर एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले यह नौ चिकित्सक एमबीबीएस 2010, 2011, 2012, 2014 बैच के हैं। इन चिकित्सकों के गायब रहने के बारे में समाचार पत्रों में भी प्रमुखता से खबर छपी थी।

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बांड की शर्तों के अनुसार राजकीय शुल्क पर एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को डॉक्टर बनने पर पांच साल पहाड़ के ही अस्पतालों में कार्य करना अनिवार्य है। लेकिन यह चिकित्सक पहाड़ के अस्पतालों में मिली तैनाती को छोड़कर गायब हो गए। इस पर श्रीनगर मेडिकल कालेज के प्राचार्य ने बहुत कठोर रुख अपनाया और उन्होंने बांड की सेवा शर्तों का उल्लंघन करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई शुरू कर दी।

इसकी भनक लगते ही इन नौ चिकित्सकों ने बांड की संबंधित धनराशि मेडिकल कालेज में जमा कर दी, जो 18086039 रुपये है। डॉ. अंशु पालीवाल ने दस लाख दो हजार 944 रुपये, डॉ. इंद्रेश विक्रम सिंह ने 30 लाख रुपये, डॉ. मीना ने 11 लाख 50 हजार 403 रुपये, डॉ. सागर भटनागर, डॉ. आराधना त्रिपाठी, डॉ. आदित्य प्रताप सिंह राठौर ने 24-24 लाख रुपये और डॉ. महिमा अग्रवाल ने 19 लाख 52 हजार 934 रुपये, डॉ. शैफाली वर्मा ने 17 लाख 72 हजार 552 रुपये, डॉ. नुपुर कटारिया ने 20 लाख 7 हजार 206 रुपये बांड धनराशि जमा करा दी है। मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत ने यह बांड धनराशि जमा हो जाने की पुष्टि की है।

23 और चिकित्सकों से वसूली जानी है राशि

श्रीनगर मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत ने कहा कि ऐसे अभी 23 बांडधारी चिकित्सक शेष हैं, जिन्होंने बांड की सेवा शर्तों का उल्लंघन किया, जिसमें से तीन चिकित्सकों ने पीजी करने को लेकर सूचना दी है। शेष 20 चिकित्सकों ने अभी भी कोई जवाब नहीं दिया है। मेडिकल कालेज प्रशासन अब ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ जिलाधिकारी के माध्यम से राजस्व वसूली की तरह बांड की धनराशि वसूलने की प्रक्रिया भी शुरू कर रहा है। मेडिकल कालेज के प्राचार्य का प्रयास है कि एक महीने के अंदर यह कार्य हो जाए।


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