Water Conservation: निर्मला और दीपा की पहल से पुनर्जीवित हुए जलस्रोत, ऐसे किया कमाल
Water Conservation घर से मीलों दूर पैदल चलकर पानी की व्यवस्था करने वाली लोदी व कुई गांव की महिलाएं बखूबी जानती हैं कि पानी का मोल क्या होता है। इसलिए गांव के प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों को बचाने की कवायद शुरू की।
अजय खंतवाल, कोटद्वार। Water Conservation घर से मीलों दूर पैदल चलकर पानी की व्यवस्था करने वाली लोदी व कुई गांव की महिलाएं बखूबी जानती हैं कि पानी का मोल क्या होता है। इसलिए गांव के प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों को बचाने की कवायद शुरू की। कुई गांव में इस कार्य के लिए प्रेरणा बनीं निर्मला सुंद्रियाल। ग्रामीण महिलाओं की मदद से खाल (छोटा तालाब) खोदकर एक प्राकृतिक स्त्रोत को पुनर्जीवित कर दिया। वहीं, लोदी गांव में दीपा रावत ने खुद के दम पर अपने घर के समीप खाल खोद दी। इस खाल में एकत्र जल से जहां मवेशी अपनी प्यास बुझाते हैं। काश्तकार सिंचाई के लिए भी इस खाल का प्रयोग कर रहे हैं।
जनपद पौड़ी गढ़वाल के चौबट्टाखाल प्रखंड के अंतर्गत ग्राम कुई निवासी निर्मला सुंद्रियाल बताती हैं कि पहाड़ों में वर्षा जल संरक्षण न होने के कारण प्राकृतिक स्त्रोत तेजी से सूख रहे हैं। ऐसा ही एक स्त्रोत कुई गांव के समीप ग्राम पांथर में था, जिससे पूरे गांव की प्यास बुझती थी। स्त्रोत सूखा तो महिलाओं के समक्ष पानी का संकट पैदा हो गया। वर्ष 2018 में उन्होंने स्त्रोत के समीप खाल निर्माण की योजना बनाई।
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