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मातृभाषा में अध्ययन और अध्यापन अधिक सरल

मातृभाषा में अध्ययन और अध्यापन अधिक सरल और व्यापक होने के साथ ही प्रभावी भी होते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 10:34 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 10:34 PM (IST)
मातृभाषा में अध्ययन और अध्यापन अधिक सरल
मातृभाषा में अध्ययन और अध्यापन अधिक सरल

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: मातृभाषा में अध्ययन और अध्यापन अधिक सरल और व्यापक होने के साथ ही प्रभावी भी होते हैं। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि इसी विशिष्टता को लेकर नई शिक्षा नीति में इस तथ्य का मुख्य संज्ञान लेते हुए स्थानीय भाषा में शिक्षा को संचालित करने की जरूरत पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि ज्ञान और नवअनवेषित दोनों को मातृभाषा में ही डिजीटल मोड पर तैयार करने की सख्त जरूरत भी है। गढ़वाल केंद्रीय विवि की कुलपति और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की न्यू एजुकेशन इप्लीमेंटेशन कमेटी की सदस्य प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने पेडागाजी इन डिजीटल लर्निंग इन न्यू एजुकेशन पॉलिसी विषय पर आयोजित कार्यशाला में विचार व्यक्त किए। गढ़वाल केंद्रीय विवि के फैकल्टी डवलपमेंट सेंटर द्वारा 19 से 25 जनवरी तक इस प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें उत्तराखंड के साथ ही बिहार, दिल्ली, पंजाब, उड़ीसा, राजस्थान के साथ ही अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के 46 शिक्षक प्रतिभागी ऑनलाइन प्रतिभाग कर रहे हैं।

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गढ़वाल केंद्रीय विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कार्यशाला के प्रतिभागी शिक्षकों को कहा कि अध्ययन और अध्यापन के साथ ही शोध क्षेत्र में मल्टीडिसिप्लिनरी सोच के साथ नई शिक्षा नीति देश में आदर्श मापदंड भी स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण के इस युग में कीबोर्ड, वर्चुअल फिगर का समान हो गया है जिससे काफी हद तक हाथ से लिखने की आदत भी समाप्त होती जा रही है। जिसे बनाए रखना बहुत जरूरी है। केवल तकनीकी पर ही निर्भर नहीं रहकर हमें लिखने की अपनी मूल क्षमता भी बनाए रखनी है। कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा ने कहा कि लिखने की कला का संव‌र्द्धन करने को लेकर समय-समय पर हस्तलिखित निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाना चाहिए ।

महाराणा रणजीत सिंह पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आइपीएस आयसर ने कहा कि ऑनलाइन टीचिग में इंटरेक्शन प्रमुख जरूरत है। इस दौरान डॉ. राहुल कुंवर सिंह, डॉ. सोमेश थपलियाल, पारुल, बलवीर, जगदम्बा, रामेश्वरी आदि मौजूद थे।


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