गढ़वाल के द्वार पर देश की शान बना कोटद्वार रेलवे स्टेशन
कोटद्वार रेलवे स्टेशन की दीवारों पर गढ़वाल की संस्कृति से जुड़ी पेंटिग्स ने जहां स्टेशन को नया रूप दिया वहीं इस स्टेशन को देश के स्वच्छ व सुंदर स्टेशनों की सूची में शामिल किया है।
कोटद्वार, जेएनएन। करीब दो माह पूर्व तक देश में शायद ही कोई कोटद्वार रेलवे स्टेशन के बारे में जानता हो, लेकिन आज यह स्टेशन भारतीय रेल की ऑफीसियल वेबसाइट के साथ ही रेल मंत्रालय के विभिन्न सोशल मीडिया साइट्स पर यह स्टेशन छाया हुआ है।
रेलवे स्टेशन की दीवारों पर गढ़वाल की संस्कृति से जुड़ी पेंटिग्स ने जहां स्टेशन को नया रूप दिया, वहीं इन पेंटिग्स की बदौलत भारतीय रेल महकमे ने इस स्टेशन को देश के स्वच्छ व सुंदर स्टेशनों की सूची में शामिल किया है। देखने वाली बात यह है कि रेलवे स्टेशन परिसर की दशा-दिशा को बदलने वाला रेल महकमा नहीं, बल्कि कोटद्वार के युवाओं की संस्था वॉल ऑफ काइंडनेस है, जो पिछले तीन वर्षों से कोटद्वार में विभिन्न सामाजिक कार्यों को अंजाम दे रही है।
कोटद्वार रेलवे स्टेशन की स्थापना अंग्रेजी शासनकाल में वर्ष 1889-90 में हुई। 130 साल के इस लंबे कालखंड में कोटद्वार ने कई बदलाव देखे, लेकिन रेलवे स्टेशन की व्यवस्थाएं जस की तस ही रही। हालांकि, वर्ष 2002-03 में इस स्टेशन को 'मॉडल' स्टेशन में तब्दील करने के लिए एक करोड़ की धनराशि स्वीकृत हुई लेकिन, इस धनराशि से ले-देकर स्टेशन में लग पाया एक अदद 'अप्पू'।
वर्ष 2010 में इस स्टेशन को 'आदर्श' स्टेशन के रूप में विकसित करने की बात चली, लेकिन तस्वीर फिर भी नहीं बदली, लेकिन पिछले दो महीनों में इस स्टेशन की सूरत पूरी तरह बदल गई है। स्टेशन की जिन दीवारों पर पान की पीक नजर आती थी, वहां आज गढ़वाल की संस्कृति से जुड़ी पेंटिग्स नजर आ रही हैं। कहीं दीवारों पर उत्तराखंड के चार धाम दिख रहे हैं तो कहीं दीवारों पर बनी पेंटिंग्स कण्वाश्रम का पूरा इतिहास बयां कर रही हैं।
किस तरह बदली सूरत
कोटद्वार रेलवे स्टेशन की सूरत रेल महकमे ने नहीं, बल्कि कोटद्वार की वॉल ऑफ काइंडनेस संस्था ने बदली। क्षेत्र के तीन युवाओं ने दिसंबर 2016 में इस संस्था को गठित किया और आज संस्था में तीस युवा शामिल हैं। संस्था जहां पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करती है, वहीं कोटद्वार को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए भी प्रयासरत है।
इसी क्रम में बीते अक्टूबर माह में संस्था ने कोटद्वार रेलवे स्टेशन को सुंदर बनाने का कार्य शुरू किया। संस्था संस्थापक मनोज नेगी बताते हैं कि कोटद्वार गढ़वाल का प्रवेश द्वार है और देश-विदेश से आने वाले पर्यटक कोटद्वार रेलवे स्टेशन में पहुंचकर गढ़वाल में प्रवेश करते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि रेलवे स्टेशन को उस रंग में रंगा जाए ताकि स्टेशन पर पहुंचने वाला गढ़वाल की संस्कृति के बारे में जान सके।
झंडा चौक को भी दी थी पहचान
वॉल ऑफ काइंडनेस संस्था ने जहां वर्तमान में कोटद्वार रेलवे स्टेशन को नई पहचान दी है, वहीं 2018 में इस संस्था ने कोटद्वार के झंडा चौक को भी पहचान दी थी। दरअसल, कोटद्वार में झंडा चौक नाम तो था, लेकिन इस जगह पर कोई झंडा नहीं था। जिस कारण बाहरी क्षेत्रों से आने वाले लोग झंडा चौक को लेकर भ्रम में रहते थे। 25 जनवरी 2018 को संस्था ने स्वप्रयासों से झंडा चौक पर 65 फुट की ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज को स्थापित किया, जो कि आज भी शान से फहरा रहा है।
यह भी पढ़ें: बेटे के सपने को साकार करने के लिए पिता ने छोड़ी हाईकोर्ट में सेक्शन ऑफिसर की नौकरी