तेरी मायान जिकुड़ी मा मरीं च इन अंग्वाल.
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : आखर समिति की ओर से गढ़वाली कवयित्री सम्मेलन में कवयित्रियों
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल :
आखर समिति की ओर से गढ़वाली कवयित्री सम्मेलन में कवयित्रियों ने सामाजिक सरोकारों, पहाड़ से हो रहे पलायन और बदलते परिवेश पर एक से बढ़कर एक कविताओं का पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। नवोदित कवयित्रियों ने भी सम्मेलन में अपनी रचनाओं का पाठ कर सामाजिक कुरीतियों पर तीखे व्यंग्य कसे।
अवकाश प्राप्त कर्मचारी विकास संगठन कार्यालय में गढ़वाली कवयित्री सम्मेलन का शुभारंभ गढ़वाल केंद्रीय विवि की प्रो. सुरेखा डंगवाल मुख्य अतिथि और गंगा असनोड़ा थपलियाल ने विशिष्ट अतिथि सम्मेलन का शुंभारंभ किया। सम्मेलन की अध्यक्षता साहित्यकार उमा घिल्डियाल द्वारा की गयी। डॉ. कविता भट्ट ने रोटाना अरसा कख गैना., सरिता चंदोला ने तेरी मायान जिकुड़ी मा मरीं च इन अंग्वाल., अनीता काला ने तेरी बरसों बटिन याद आयी मां, जब नौनुन मै भैर धक्यायी मां. प्रस्तुतियां श्रोताओं में विशेष आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। आरती पुंडीर, साइनी उनियाल, रेखा रावत, कुसुमलता मंमगाई ने भी अपनी-कपनी रचनाओं के माध्यम से पहाड़ से हो रहे पलायन, सामाजिक सरोकारों को उजागर किया। नवोदित कवयित्री प्रियंका नेगी ने फैशन ह्वेगे आज जब, क्या ब्वन चुचौं चुप रावा अब. को भी श्रोताओं ने खूब सराहा। सम्मेलन का संचालन आरती पुंडीर ने किया। आखर समिति के अध्यक्ष संदीप रावत, राकेश मोहन भंडारी, सुबोध हटवाल, मुकेश काला, सत्यजीत खंडूड़ी, डॉ. प्रदीप अंथवाल, अंजना घिल्डियाल, बृजमोहन सजवाण, प्रभाकर बाबुलकर, अखिलेश चंद्र, राधा मैंदोली, रेखा चमोली, अमीणा भट्ट, दिलवर रावत सहित अन्य साहित्य प्रेमी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।