हिमालय नापने के जुनून में दूसरी बार फतह की एवरेस्ट की चोटी
पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लाक स्थित ग्राम गोंछीखेत निवासी बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के जाबांज कमलेश बौंठियाल के जुनून ने उन्हें दूसरी बार एवरेस्ट फतह करने में कामयाबी दिलाई है।
गणेश काला, [पौड़ी गढ़वाल]: हिमालय को अपने कदमों से नापने के कमलेश बौंठियाल के जुनून ने उन्हें दूसरी बार एवरेस्ट फतह करने में कामयाबी दिलाई है। पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लाक स्थित ग्राम गोंछीखेत निवासी बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) का यह जाबांज अब तक हिमालय की करीब एक दर्जन दुरूह चोटियों का आरोहण कर चुका है। वर्तमान में कमलेश बीएसएफ में निरीक्षक के पद पर तैनात हैं।
गोंछीखेत निवासी भगवती प्रसाद बौंठियाल के घर जन्म इस होनहार बेटे के दूसरी बार एवरेस्ट फतह करने से क्षेत्रवासी गदगद हैं। वापसी में काठमांडू से दूरभाष पर कमलेश ने बताया कि 21 मई की सुबह टीम लीडर पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तु के नेतृत्व में बीएएफ के सभी 15 सदस्यों ने एवरेस्ट का आरोहण किया।
बताया कि उनके दल को दिल्ली में बीएसएफ हेड क्वार्टर से खेल मंत्री राज्यवद्र्धन राठौर ने टीम झंडी दिखाकर रवाना किया था। साठ दिन के इस एडवेंचर में सभी सदस्य अपनी मंजिल को छूने में कामयाब रहे।
तीन दशक पूर्व बीएसएफ ज्वाइन करने वाले कमलेश का साहसिक गतिविधियों से पुराना नाता रहा है। सतपुली में शिक्षा के दौरान नयार में गोते लगाना और गांव जाने के लिए शॉर्टकट तलाशते हुए पहाड़ियां चढ़ना उनका शगल रहा। अपने साहसिक जुनून के चलते उन्होंने बीएसएफ में भी इसे ही तवज्जो दी।
हिमालय की कई दुरूह चोटियों को फतह करने के साथ ही उन्होंने 12 वर्ष पूर्व 2006 में ही एवरेस्ट फतह कर कामयाबी की इबारत लिख दी थी। लगातार कामयाबियों के सफर के चलते वर्ष 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने कमलेश को तेनङ्क्षजग नोर्गे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था।
वर्तमान में बीएसएफ की ओर से देहरादून में साहसिक खेल प्रशिक्षक के तौर पर कमलेश के नाम हिमालय की कई दुरूह चोटियां फतह करने का रिकॉर्ड रहा है।
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