भारत को सशक्त, मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने के लिए छात्र नई सोच के साथ आगे बढ़े
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले ऑनलाइन दीक्षा समारोह में 1117 छात्रों ने स्नातकोत्तर 137 ने पीएचडी 12 ने एमफिल की उपाधि प्राप्त की। कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल से दीक्षा लेते हुए हुए सभी छात्रों ने ऑनलाइन ही अपनी उपाधि ली।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : भारत को सशक्त, मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने के लिए छात्र नई सोच के साथ आगे बढ़े। मंगलवार को गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के ऑनलाइन दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उपाधिधारी छात्रों का आह्वान करते हुए यह बात की। उन्होंने कहा कि छात्रों में अपार प्रतिभा व क्षमता है। इसलिए छात्र नौकरी पाने नहीं वरन देने वाले बनें। देश को नई दिशा देने का संकल्प लेने के साथ ही छात्र बड़ी सोच के साथ अपना लक्ष्य भी बड़ा रखें।
दीक्षा समारोह में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने पर जोर देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा कि विवि के पास विज्ञान, पर्यावरण, अध्यात्म हर क्षेत्र में कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं। स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरङ्क्षवद के विचारों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति के रूप में मजबूती भी दी है। जिससे न केवल प्रोफेशल वरन श्रेष्ठ नागरिक भी बनेंगे। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां पहाड़ के पुरुषार्थ की छाया देखने को नहीं मिले।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. धीरेंद्र पाल ङ्क्षसह ने छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि पहाड़ की संस्कृति, संस्कार और परंपराओं को भी छात्र आगे बढ़ाएं। विवि में बतौर शोध छात्र अपने समय की यादों को साझा करते हुए यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि छात्रों से ही विवि को पहचान मिलती है। विवि के चांसलर डॉ. योगेंद्र नारायण ने कहा कि दीक्षा समारोह छात्रों के जीवन का सुखद और गौरवशाली क्षण होता है।
इस अवसर पर विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। दीक्षा समारोह में कुलसचिव प्रो. एनएस पंवार ने सभी का आभार व्यक्त किया।
वर्ष में एक बार हो पूर्व छात्रों का सम्मेलन
ऑनलाइन दीक्षा समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गढ़वाल केंद्रीय विवि की उपलब्धियों और कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विवि के पूर्व छात्रों का वर्ष में एक बार सम्मेलन अवश्य कराएं। जिससे एल्युमिनाई विवि के विकास में हमकदम और सहयोगी भी बन सकें। उन्होंने कहा कि मैं गढ़वाल विवि में छात्र तो कुछ समय ही रहा, परन्तु एल्युमिनाई में हमेशा रहूंगा। किसी भी संस्थान को मजबूती और विस्तार देने में पूर्व छात्रों का अद्भुत योगदान रहता है। देने की प्रवृति से संस्थान और संस्थानों से समाज राष्ट्र को मजबूती मिलती है। विद्या दान, वित्त दान, समय दान जिसमें भी सक्षम हों एल्युमिनाई अवश्य करें। यही हमारे देश की संस्कृति और परंपरा भी है।