पर्यावरण के लिए घातक ई-रिक्शा की घटिया बैटरी
जागरण संवाददाता कोटद्वार ई-रिक्शा में लगने वाली बैटरी अगर उम्दा गुणवत्ता की नहीं है तो
जागरण संवाददाता, कोटद्वार : ई-रिक्शा में लगने वाली बैटरी अगर उम्दा गुणवत्ता की नहीं है तो यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है। घटिया क्वालिटी की बैटरी से निकलने वाले हानिकारक तत्व पर्यावरण के लिए घातक साबित हो सकते हैं।
प्रदूषण कम करने के नाम पर चल रहे ई-रिक्शा पर्यावरण के लिए घातक हो सकते हैं। ई-रिक्शा को सड़कों पर उतारने के पीछे सरकार की मंशा डीजल-पेट्रोल से होने वाले प्रदूषण को कम करना था। इन ई-रिक्शा से धुआं नहीं निकलता। लेकिन, ई-रिक्शा में घटिया बैटरी के इस्तेमाल के चलते ई-रिक्शा भी पर्यावरण के लिए घातक बनते जा रहे हैं। दरअसल, कई कंपनियां ई-रिक्शा में घटिया गुणवत्ता की बैटरी लगा कर दे रही हैं। यह बैटरियां छह माह से एक वर्ष के भीतर खराब हो जाती हैं। ई-रिक्शा चालक इन खराब बैटरियों को ई-रिक्शा डीलर अथवा पुरानी बैटरी खरीदने वालों को सौंप देते हैं। इन पुरानी बैटरियों को गलाकर इसमें से लेड की प्लेट को अलग कर लिया जाता है। इसके बाद नए कवर, वायर बाक्स, लेड प्लेट व सल्फ्यूरिक एसिड डालकर पुरानी बैटरी को नया रूप देकर बिक्री के लिए बाजार में भेज दिया जाता है। बैटरी को गलाने के दौरान खतरनाक लेड धातु के कण मिट्टी व हवा में घुल जाते हैं। इससे जहां मिट्टी की सेहत बिगड़ती है, वहीं हवा में खतरनाक लेड धातु का प्रदूषण फैल जाता है।
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सस्ती मिलती है घटिया बैटरी
ई-रिक्शा में चार बैटरियों का सेट लगता है। घटिया किस्म की बैटरियों का सेट ब्राडेंड कंपनी की बैटरियों के मुकाबले काफी कम कीमत पर मिल जाता है। ऐसे में कई ई-रिक्शा चालक सस्ते के लालच में घटिया बैटरी लगा देते हैं और यही लालच पर्यावरण के लिए घातक साबित होता है। एक बैटरी विक्रेता ने बताया कि ब्राउंडे कंपनी की बैटरी दो से तीन साल की वारंटी देती है, जबकि घटिया क्वालिटी की बैटरी की नौ माह की ही वारंटी होती है व बैटरी साल-डेढ़ साल चल जाती है।