Move to Jagran APP

आठवीं के इस छात्र ने तैयार किया है पॉलीथिन का विकल्प, जानिए

एक तेरह साल का छात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन को परवान चढ़ाने में जुटा है। कक्षा आठ के इस छात्र ने पॉलीथिन का विकल्प तैयार किया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 04:10 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 04:10 PM (IST)
आठवीं के इस छात्र ने तैयार किया है पॉलीथिन का विकल्प, जानिए
आठवीं के इस छात्र ने तैयार किया है पॉलीथिन का विकल्प, जानिए

कोटद्वार, रोहित लखेड़ा। बागेश्वर जिले में राजकीय इंटर कॉलेज अनस्यारी का एक तेरह साल का छात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन को परवान चढ़ाने में जुटा है। कक्षा आठ के इस छात्र ने पॉलीथिन का ऐसा विकल्प तैयार किया है, जो न केवल सस्ता है, बल्कि पूरी तरह से एन्वायरमेंट फ्रेंडली भी है। 

loksabha election banner

कोटद्वार के आर्य कन्या इंटर कॉलेज में आयोजित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्रांतीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण महोत्सव में पॉलीथिन का यह विकल्प सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा। बागेश्वर जिले के बूंगा गांव के रहने वाले प्रमोद परिहार ने यह कारनामा कर दिखाया है। प्रमोद के पिता प्रकाश परिहार गांव में ही इलेक्ट्रीशियन का कार्य करते हैं, जबकि माता ललिता देवी गृहणी हैं। प्रमोद के बड़े भाई रोहित भी उन्हीं के साथ कक्षा आठ के छात्र हैं। 

प्रमोद कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार पर्यावरण संरक्षण की अपील कर रहे हैं। वह कहते हैं कि पर्यावरण को बचाना हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने लीसा (चीड़ के पेड़ से निकलने वाला चिपचिपा पदार्थ), गोंद और नमक के मिश्रण से इसे तैयार किया है। इससे पॉलीथिन जैसे कैरी बैग बनाए जा सकते हैं। इसकी खूबी यह है कि फेंकने के बाद यह खुद ही गल जाता है। वह बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में लीसा आसानी से मिल जाता है। ऐसे में यह विकल्प सस्ता भी है। 

प्रांतीय विज्ञान महोत्सव के संयोजक जगमोहन सिंह रावत ने बताया कि प्रमोद के जरिए बनाया गया पॉलीथिन का विकल्प भविष्य की राह प्रशस्त करने वाला है। उनका कहना है कि प्रमोद अन्य बच्चों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। प्रमोद के इस प्रयोग को महोत्सव में प्रथम पुरस्कार मिला है।

यह भी पढ़ें: डीएनए बताएगा लद्दाख के द्रोपा मूल आर्यवंशी हैं या नहीं, पढ़ि‍ए पूरी खबर 

खेल-खेल में हुआ आविष्कार 

प्रमोद ने बताया कि अवकाश के दिन अक्सर वह मवेशी लेकर जंगल जाते हैं और साथ में एक तख्ती (एक प्रकार की लकड़ी से बनी स्लेट) भी ले जाते हैं, जिससे समय मिलने पर सुलेख का अभ्यास किया जा सके। एक दिन उन्होंने तख्ती पर लीसा, गोंद और नमक का मिश्रण का लेप कर दिया। बताया कि करीब एक घंटे बाद जब उनका ध्यान तख्ती पर गया तो देखा कि एक परत जमी हुई है। परत दिखने में पॉलीथिन की तरह थी। उत्साहित प्रमोद ने घर लौटकर यह प्रयोग बार-बार दोहराया। इसके बाद उसने अपने शिक्षकों को इससे अवगत कराया, तो उन्होंने भी प्रमोद का उत्साह बढ़ाया। 

यह भी पढ़ें: संक्रमण से बचाएगी आइआइटी रुड़की की नई तकनीक, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में भी होगी फायदेमंद


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.