डाडामंडी में लंगूरी तो मवाकोट में कलालघाटी ने मारी बाजी
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: मकरैंण (मकर संक्रांति) के मौके पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: मकरैंण (मकर संक्रांति) के मौके पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी क्षेत्र में विभिन्न स्थानों में '¨गदी' कौथिग का आयोजन किया गया। मवाकोट में इस मर्तबा भी कलालघाटी के ¨गदेरे '¨गदी' को अपने क्षेत्र में ले जाने में कामयाब रहे, जबकि डाडामंडी में लगातार दूसरी बाद लंगूरी के ¨गदेरे गेंद को अपने पाले में ले गए। इससे पूर्व, सोमवार को थलनदी में अजमीर के ¨गदेरों ने लगातार दूसरी बार ¨गदी कब्जाई। कौथिग (मेला) में हजारों की तादाद में उमड़े कौथगेरों ने न सिर्फ '¨गदी' का आनंद लिया, बल्कि जमकर खरीददारी भी की।
भाबर क्षेत्र के अंतर्गत मवाकोट में कोटद्वार व कलालघाटी के मध्य '¨गदी' खेली गई। पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ शाम करीब पांच बजे '¨गदी' को मेला स्थल तक लाया गया व वैदिक मंत्रोच्चारों के बीच प्रदेश के शिक्षा मंत्री अर¨वद पांडे व हंस फाउंडेशन के प्रांतीय प्रभारी पदमेंद्र ¨सह बिष्ट ने '¨गदी' को हवा में उछाल ¨गदेरों के बीच छोड़ दिया गया। इसके बाद शुरू हुई '¨गदी'को अपने पाले में ले जाने की होड़। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आखिर कलालघाटी के ¨गदेरे '¨गदी'को अपने खेमे में ले जाने में कामयाब रहे। डाडामंडी में '¨गदी'का खेल अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे से शुरू हुआ। '¨गदी'के लिए परंपरागत प्रतिद्वंद्वियों लंगूरी व भटपुड़ी पट्टियां आमने-सामने थी। करीब तीन घंटे के लंबे संघर्ष के बाद लंगूरी के ¨गदेरे गेंद को अपने पाले में ले जाने में कामयाब रहे।
इससे पूर्व सोमवार को कटघर में मुकाबला उदयपुर व ढांगू पट्टियों के बीच हुआ, लेकिन देर शाम तक कोई भी पट्टी अपने क्षेत्र में '¨गदी'नहीं ले जा पाई और मुकाबला अनिर्णित रहा, जबकि थलनदी में अजमीर पट्टी के ¨गदेरे '¨गदी'को अपने पाले में ले जाने में कामयाब रहे।