कोरोना बना ढाल, धीमा रहा चिकनगुनिया, डेंगू का वार
कोरोना संक्रमण के डर से आमजन की ओर से बरती गई सावधानियों ने डेंगू व चिकनगुनिया जैसे जानलेवा बीमारियों को मात दे दी।
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोरोना संक्रमण के डर से आमजन की ओर से बरती गई सावधानियों ने डेंगू व चिकनगुनिया जैसे जानलेवा बीमारियों को मात दे दी। गत वर्ष तक जहां प्रदेश में डेंगू के दस हजार से अधिक मामले प्रकाश में आए, इस मर्तबा पूरे प्रदेश में अभी तक मात्र डेंगू के 55 मामले ही प्रकाश में आए हैं। इतना ही नहीं, इस वर्ष पूरे प्रदेश में अभी तक चिकनगुनिया का एक भी मामला प्रकाश में नहीं आया है।
कोरोना से बचाव के लिए आमजन ने जहां एक ओर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तमाम प्रबंध किए, वहीं घर के आसपास पूरी सफाई भी की गई। पूरे क्षेत्र में लगातार सैनिटाइजर का छिड़काव हुआ। नतीजा, बरसात के मौसम में होने वाले डेंगू, चिकनगुनिया सहित अन्य मौसमी बुखारों का प्रकोप अन्य वर्षों के मुकाबले इस वर्ष कम रहा। बताना जरूरी है कि डेंगू का प्रकोप जुलाई से अक्टूबर माह तक सबसे अधिक होता है। राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के डाटा पर नजर डालें तो गत वर्ष पूरे प्रदेश में डेंगू के 10622 मामले प्रकाश में आए। साथ ही डेंगू से आठ व्यक्तियों को जान गंवानी पड़ी। साथ ही डेंगू से कोई मौत भी नहीं हुई है। जनपद पौड़ी की बात करें तो गत वर्ष जिले में डेंगू के 145 मामले प्रकाश में आए। साथ ही एक व्यक्ति की डेंगू से मौत भी हुई। चिकनगुनिया का टूटा दम
बरसात के मौसम में चिकनगुनिया का बुखार आमजन को बुरी तरह से तोड़ देता है। वर्ष 2018 में प्रदेश में चिकनगुनिया के सात मामले पाए गए, लेकिन इस वर्ष अभी तक चिकनगुनिया का कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है। पिछले पांच वर्षों में उत्तराखंड में डेंगू के मामले
वर्ष मामले मौत
2015 1655 01
2016 2146 00
2017 879 00
2018 689 03
2019 10622 08
2020 55 00 (तीस सितंबर तक)
पिछले पांच वर्षों में जनपद पौड़ी में डेंगू के मामले
वर्ष मामले मौत
2015 19 00
2016 39 00
2017 02 00
2018 07 01
2019 145 01
2020 01 00 (तीस सितंबर तक) पिछले पांच वर्षों में उत्तराखंड में चिकनगुनिया के मामले
वर्ष संदिग्ध पुष्ट
2015 00 00
2016 35 10
2017 00 00
2018 29 07
2019 01 01
2020 00 00 (तीस सितंबर तक)
कोट्स........
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए आमजन पूरी तरह से सतर्क है। आमजन ने स्वयं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई है। साथ ही घरों के आसपास सफाई रखी, जिस कारण डेंगू व चिकनगुनिया जैसे मच्छर नहीं पनप पाए।
जेपी बहुगुणा, जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी, पौड़ी।