कोरोना महामारी का दिखा कांडा मेले पर प्रभाव
श्रीनगर से लगभग 20 किमी दूर देहलचौरी के समीप कांडा में गढ़वाल का दो दिवसीय प्राचीनतम और ऐतिहासिक मेला सोमवार को संपन्न हो गया।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: श्रीनगर से लगभग 20 किमी दूर देहलचौरी के समीप कांडा में गढ़वाल का दो दिवसीय प्राचीनतम और ऐतिहासिक मेला सोमवार को संपन्न हो गया।
दो दिवसीय कांडा मेले में इस बार कोरोना महामारी का प्रभाव भी देखने को मिला। पहले और दूसरे दिन लगभग 300 से 400 श्रद्धालुओं ने ही मंदिर में पूजा-अर्चना की, जबकि इससे पूर्व पिछले सालों तक मेले में हजारों की संख्या में भीड़ हुआ करती थी। पुलिस प्रशासन को शांति व्यवस्था बनाए रखने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। मेले के अंतिम दिन सोमवार को तहसीलदार सुनील राज के अलावा पर्याप्त पुलिस बल के साथ श्रीनगर कोतवाल मनोज रतूड़ी और कोतवाली के एसएसआइ रणवीर रमोला सुबह से ही मेला स्थल पर डटे हुए थे। मेला शांतिपूर्ण संपन्न हो जाने पर मंदिर समिति के अध्यक्ष द्वारिका भट्ट, सचिव दिनेश भट्ट, मुख्य पुजारी महेश्वर प्रसाद भट्ट और श्रीनगर कोतवाल मनोज रतूड़ी ने भी क्षेत्र की जनता विशेषकर श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया।
मंदिर में पहली बार नहीं चढ़े निशान
मंजूघोषेश्वर महादेव मंदिर समिति के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद भट्ट ने कहा कि कांडा मेले के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि कोरोना की मार के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं की ओर से निशान नहीं चढ़े। मंदिर समिति ने सभी श्रद्धालुओं से पूर्व में ही आग्रह किया था कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए इस बार मंदिर में निशान नहीं चढ़ेंगे और श्रद्धालु शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए रीति रिवाज के अनुसार केवल पूजा-अर्चना करेंगे, जबकि पहले हर वर्ष विभिन्न गांवों से 40 से अधिक निशान कांडा मेले में मंदिर में चढ़ाए जाते रहे।