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जैविक खेती ने बढ़ाई जैविक खाद की अहमियत

कोरोना संक्रमण के दौर में ऐसे भोजन पर विशेष जोर दिया गया जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला हो।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 09:48 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 09:48 PM (IST)
जैविक खेती ने बढ़ाई जैविक खाद की अहमियत
जैविक खेती ने बढ़ाई जैविक खाद की अहमियत

अजय खंतवाल, कोटद्वार

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कोरोना संक्रमण के दौर में ऐसे भोजन पर विशेष जोर दिया गया, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला हो। इसके चलते जैविक खाद से उगाई गई फल-सब्जियों की मांग भी बजार में अधिक रही। इस मांग ने जैविक खाद बनाने वालों के चेहरों पर भी रंगत ला दी। इन्हीं में से एक हैं किशनपुर (कोटद्वार) निवासी डॉ. माधुरी डबराल, जो बीते 11 वर्षों से जैविक खाद (वर्मी कंपोस्ट) तैयार करने के साथ ही काश्तकारों को इसके प्रयोग के लिए प्रेरित भी कर रही हैं।

वर्मी कंपोस्ट विषय में पीएचडी माधुरी काश्तकारों के बीच जाकर उन्हें न सिर्फ रासायनिक उर्वरकों की जानकारी देती हैं, बल्कि जैविक खाद तैयार करने के गुर भी सिखाती हैं। वह काश्तकारों के लिए स्वयं भी केंचुओं से खाद तैयार करती हैं। साथ ही खाद तैयार करने के लिए यूनिट लगाने में काश्तकारों की मदद भी करती हैं। माधुरी ने अपने आवास में ही वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए यूनिट लगाई हुई है। खास बात यह कि कोरोना संक्रमण से पूर्व उनकी यूनिट से प्रतिवर्ष 500 से 600 क्विटल वर्मी कंपोस्ट काश्तकार खरीदते थे, जबकि बीते दो महीनों में बिक्री का आंकड़ा प्रतिमाह 200 से 250 क्विटल पहुंच गया है।

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आत्मनिर्भर हो सकते हैं गांव

माधुरी की मानें तो पहाड़ में आर्थिक संकट से जूझ रहे ग्रामीणों के लिए वर्मी कंपोस्ट किसी वरदान से कम नहीं है। वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए गोबर, चीड़, गाजर घास व लैंटाना की पत्तियों की जरूरत होती हैं। सभी का मिश्रण तैयार कर उसमें केचुओं को छोड़ दिया जाता है, जो अगले कुछ दिनों में इस मिश्रण को खाद में बदल देते हैं। बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में गोबर सहित अन्य पत्तियां आसानी से मिल जाती हैं। ग्रामीण वर्मी कंपोस्ट बनाने के साथ ही वर्मी वॉश, केंचुए व कोकून की भी बिक्री कर सकते हैं।

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सौ नई यूनिट लगाने की तैयारी

माधुरी ने बताया कि कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के बाद कई काश्तकारों ने अपने क्षेत्रों में वर्मी कंपोस्ट की यूनिट लगाने के लिए उनसे संपर्क साधा है। बताया कि इस वर्ष वो देशभर में वर्मी कंपोस्ट की सौ बड़ी यूनिट लगाएंगी। वर्तमान में चमोली व पौड़ी जिलों में 500 से अधिक काश्तकार वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग कर रहे हैं। साथ ही काशीपुर, जसपुर व देहरादून में कुछ काश्तकार अपने खेतों में वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगवाने के लिए उनसे संपर्क कर रहे हैं। इसके अलावा बिहार, चेन्नई, नागपुर, कपूरथला, यमुनानगर व चंडीगढ़ से वर्मी कंपोस्ट की अच्छी-खासी डिमांड उन्हें मिली हैं। उनका प्रयास होगा कि इन क्षेत्रों में काश्तकार यूनिट स्थापित कर स्वयं खाद तैयार करें।


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