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अनुभवी-कर्मठ के दिन गए, अब युवा और उच्च शिक्षित है चुनावी नारा

एक समय में प्रत्याशी ईमानदारी, वरिष्ठता और अनुभवी होने का हवाला देकर चुनावी समर में उतरते थे। कहीं न कहीं इन्हीं गुणों के आधार पर जीत की बुनियाद रखी जाती थी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 05:26 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 05:26 PM (IST)
अनुभवी-कर्मठ के दिन गए, अब युवा और उच्च शिक्षित है चुनावी नारा
अनुभवी-कर्मठ के दिन गए, अब युवा और उच्च शिक्षित है चुनावी नारा

गणेश पांडे, हल्द्वानी : एक समय में प्रत्याशी ईमानदारी, वरिष्ठता और अनुभवी होने का हवाला देकर चुनावी समर में उतरते थे। कहीं न कहीं इन्हीं गुणों के आधार पर जीत की बुनियाद रखी जाती थी। समय के साथ राजनीति के तौर-तरीके बदल रहे हैं। ईमानदार, अनुभवी की जगह अब युवा, उच्च शिक्षित, ऊर्जावान जैसे स्लोगन ले रहे हैं। इस बार के निकाय चुनाव में इसकी तस्वीर साफ नजर आ रही है। मेयर से लेकर पार्षद प्रत्याशियों के पोस्टर-बैनर में 'युवा शक्ति-युवा जोश' के नारे लिखे गए हैं। 'सबको देखा बार-बार, युवा को आजमाओ एक बार' का नारा भी लाउडस्पीकर में खूब बज रहा है। युवा मतदाताओं की संख्या अधिक है। ऐसे में शिक्षित मतदाताओं को रुझाने के लिए भी प्रत्याशी इस तरह की तरकीब अपना रहे हैं। विजयश्री किसके हाथ लगेगी, इसे हर बार की तरह मतदाता तय करेगा, लेकिन एक बात साफ है कि युवाओं का रुझान राजनीति की तरफ तेजी से बढ़ा है। राजनीतिक विश्लेषकों के नजरिये से देखा जाए तो यह अच्छा संकेत भी है।

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आयु वार प्रत्याशियों का विवरण

आयु वर्ग         संख्या   प्रतिशत

18-25 वर्ष       28      8.9

25-30 वर्ष       71      22.7

30-40 वर्ष       95      30.4

40-50 वर्ष       78      24.9

50 से अधिक     41      13.1

(नोट : हल्द्वानी नगर निगम सीट से मेयर व पार्षद के 313 प्रत्याशियों की आयु पर आधारित)

62 फीसद प्रत्याशी हैं युवा

निकाय चुनाव में उतरे प्रत्याशियों में 62 फीसद युवा हैं। ऐसे प्रत्याशियों की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच है। करीब 25 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनकी आयु 40 से 50 साल के बीच है। 50 साल से अधिक की कैटेगिरी में महज 13 फीसद प्रत्याशी हैं। वहीं, 9 प्रतिशत प्रत्याशी 18 से 25 साल के हैं। राजनीतिक पार्टियों के घोषित उम्मीदवारों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश युवा हैं।

युवाओं का राजनीति में आना अच्छा संकेत

राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आरएस भाकुनी कहते हैं कि देश की 58 फीसद आबादी युवाओं की है। आने वाला भविष्य युवाओं का है। ऐसे में युवाओं में राजनीति के प्रति रुचि बढऩा अच्छा संकेत है। मतदाताओं को चाहिए कि जाति, धर्म, द्वेष की भावना को दरकिनार कर बुनियादी जरूरतों व सामाजिक सरोकार के लिए काम करने की क्षमता रखने वाले प्रत्याशी का चुनाव करें।

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