सेवानिवृत्ति के बाद भी कर रहे सेवा, जानिए योगेश पांडे कैसे बना रहे महिलाओं को आत्मनिर्भर
पांडे की प्रेरणा से कई महिलाओं स्वयं सहायता समूहों ने स्वरोजगार करना शुरू किया है। गिरिजा बुटीक व महिला विकास संस्था निर्मला संस्था से जुड़े कुछ महिला समूह अमेजन के जरिए जूट बैग व ऐपण कलाकृति की देशभर में बिक्री कर रहे हैं।
गणेश पांडे, हल्द्वानी। सरकारी सेवा के बाद अधिकांश लोग खुद को अपने तक सीमित कर लेते हैं। हल्द्वानी निवासी योगेश चंद्र पांडे उद्योग विभाग में महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी समाज को शिक्षित करने की मुहिम में जुटे हैं। पांडे ने जीवन व करियर के अनुभव दूसरों से बांटकर स्वरोजगार के जरिये आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है। उनकी मुहिम ने सामाजिक चेतना फैलाने का काम किया है।
बड़ी मुखानी निवासी योगेश चंद्र पांडे फरवरी 2019 में जिला उद्योग केंद्र से सेवानिवृत्त हुए। विभाग में रहते हुए युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करते रहे। विभागीय योजनाओं की भी समझ थी। सेवानिवृत्त होने के बाद भी इसी दिशा में काम करना शुरू किया। इस समय महिलाओं व युवाओं के कौशल विकास में जुटे हैं। सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर कार्यशाला के जरिये दूसरों को प्रेरित करते हैं। परंपरागत उत्पादों को किस तरह वर्तमान समय के अनुरूप ढाला जाए। ब्रांडिंग करने के तरीकों की समझ देते हैं। उद्यम लगाने के लिए कहां से मदद मिलेगी। विभागीय योजनाएं किस तरह मददगार हो सकती है, इसकी जानकारी उपलब्ध कराते हैं। पिछले कुछ वर्षों सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है।
हजारों महिलाओं का कर चुके प्रेरित
योगेश पांडे की दो बेटियां हैं। मास्टर आफ टेक्नालाजी की पढ़ाई करने वाली बड़ी बेटी भूमिका पांडे इंग्लैंड में कार्यरत हैं। छोटी बेटी वर्षा पांडे जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से पीएचडी कर चुकी है। पिछले दिनों उनका चयन मुरादाबाद की तीर्थांकर यूनिवर्सिटी में हो गया है। पांडे बताते हैं कि घूमना, दूसरों को प्रेरित करना उनका शौक है। आने-जाने से संवाद व रचनात्मकता बनी रहती है। नए संपर्क बनते हैं। अभी तक हल्द्वानी, सितारगंज, खटीमा, गुलरभोज, गदरपुर, रामगढ़, ओखलकांडा में हजारों महिलाओं को प्रेरित कर चुके हैं। कई महिलाएं स्वरोजगार कर आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ चुकी हैं।
आनलाइन बिक रहे उत्पाद
योगेश पांडे की प्रेरणा से कई महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों ने स्वरोजगार करना शुरू किया है। गिरिजा बुटीक व महिला विकास संस्था, निर्मला संस्था से जुड़े कुछ महिला समूह अमेजन के जरिए जूट बैग व ऐपण कलाकृति की देशभर में बिक्री कर रहे हैं। दूसरे भी इससे प्रेरित हो रहे हैं।
जोखिम उठाने का साहस जरूरी
योगेश पांडे कहते हैं कि सफलता हर कोई चाहता है। सफलता सुनिश्चित कैसे हो, इस ओर कम लोगों का ही ध्यान जाता है। जागरूक व जिज्ञासु प्रवृत्ति होना इसके बुनियादी तत्व हैं। नई सोच के साथ आगे बढ़ते हुए जोखिम उठाने का साहस व अवसर पहचानने की परख भी जरूरी है। इन सबका समावेश सफल उद्यमी की ओर ले जाता है। पांडे इसी के लिए महिलाओं को प्रेरित करते हैं। इस कोशिश के परिणाम भी सामने आए हैं।