बेकार प्लास्टिक से ऊर्जा उत्पादन कर कम होगा प्रदूषण
कुमाऊं विवि के नैनो साइंस-नैनो टेक्नोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित सेमिनार में विशेषज्ञों ने प्रदूषण कम करने और पानी साफ करने की तकनीक साझा की।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : कुमाऊं विवि के नैनो साइंस-नैनो टेक्नोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में शनिवार को दूसरे दिन विशेषज्ञों ने नए आविष्कारों व शोधों के माध्यम से पानी को शुद्ध बनाने व अन्य तकनीकी को लेकर जानकारी साझा की। विशेषज्ञों ने साफ किया कि अपशिष्ट प्लास्टिक का ऊर्जा उत्पादन में प्रयोग कर प्रदूषण कम किया जा सकता है। दूसरे दिन 35 वैज्ञानिकों ने ऊर्जा, नैनो साइंस पर व्याख्यान दिए, जबकि युवा वैज्ञानिकों ने पोस्टर प्रदर्शन कर नए अविष्कार बताए।
शनिवार को हरमिटेज भवन में आयोजित कांफ्रेंस में आइआइटी चेन्नई के प्रो. फिलिप ने कहा कि जल की शुद्धता में क्रियात्मक कार्बन महत्वपूर्ण है। जल संक्रमण को प्लाज्मा झिल्ली से साफ किया जा सकता है। उन्होंने नदी व तालाबों के जल को साफ करने की तकनीकी जानकारी दी। कहा कि बहते व रुके हुए पानी में अस्पताल, फार्मा कंपनियों तथा अन्य रसायनों की मात्रा बढ़ती जा रही है, जो पानी शुद्धीकरण की सामान्य विधियों से कम की जा सकती हैं।
डॉ. अतुल ग्रोवर ने प्रदूषण कम करने के लिए अपशिष्ट प्लास्टिक के ऊर्जा उत्पादन में अधिकाधिक उपयोग पर जोर दिया है। आइआइटी कानपुर के प्रो. देशदीप सहदेव ने ऐसे सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार की जानकारी दी, जो आणविक स्तर के अध्ययन के लिए लाभप्रद है। इस अवसर पर कांफ्रेंस चेयरमैन प्रो. एबी मेलकानी, संयोजक प्रो. नंदगोपाल साहू, डॉ. सोहेल जावेद, डॉ. पैनी जोशी, डॉ. संतोष उपाध्याय, प्रो. ललित तिवारी, प्रो. चंद्रकला पंत, प्रो. पीसी साबुमन, डॉ. गीता तिवारी, भाष्कर बोहरा समेत अन्य मौजूद थे। कांफ्रेंस का समापन रविवार को होगा।