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नैनीताल के बॉटनिकल गार्डन में बसता है रंग बिरंगी तितलियों का संसार

नैनीताल के समीपवर्ती नारायण नगर में स्थापित बॉटनिकल गार्डन विभिन्न वनस्पति प्रजातियों के लिए ही नहीं पहचाना जाता बल्कि यहां दुर्लभ प्रजातियों की मनमोहक रंग बिरंगी तितलियों का संसार भी बसता है। इस गार्डन में हर वर्ष 95 से अधिक प्रजातियों की तितलियों की उपस्थिति दर्ज की जाती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 10:00 AM (IST)
नैनीताल के बॉटनिकल गार्डन में बसता है रंग बिरंगी तितलियों का संसार
नैनीताल के बॉटनिकल गार्डन में बसता है रंग बिरंगी तितलियों का संसार

नैनीताल, नरेश कुमार : नैनीताल के समीपवर्ती नारायण नगर में स्थापित बॉटनिकल गार्डन विभिन्न वनस्पति प्रजातियों के लिए ही नहीं पहचाना जाता, बल्कि यहां दुर्लभ प्रजातियों की मनमोहक रंग बिरंगी तितलियों का संसार भी बसता है। इस गार्डन में हर वर्ष 95 से अधिक प्रजातियों की तितलियों की उपस्थिति दर्ज की जाती है। जिनके दीदार को हर वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पहुँचते है।

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वन विभाग ने 2005 में वनस्पतियों के संग्रहण और संरक्षण के लिए पहल कर शहर के समीपवर्ती नारायण नगर क्षेत्र में बॉटनिकल गार्डन की स्थापना की। इस दौरान गार्डन में ऐसे पौधे भी रोप गए जिनकी ओर तितलियां आकर्षित हो सके। करीब एक वर्ष की मेहनत के बाद गार्डन में रंग बिरंगी तितलियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। जिसको बढ़ाते हुए वन विभाग ने कई और पौधे रोप कर एक सेक्शन को बटरफ्लाई गार्डन नाम दे दिया। जिसके बाद से लगातार इस बटरफ्लाई गार्डन को और बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे है।

हर वर्ष दर्ज होती है 95 से अधिक प्रजातियों की उपस्थिति

बॉटनिकल गार्डन को कुछ इस तरह से संवारा गया है कि यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में रंग बिरंगी तितलियां पहुँचती है। तितलियों को आकर्षित करने के लिए होस्ट और नेक्टर प्लांट रोपे गए है। बॉटनिकल गार्डन के वन बीट अधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि गार्डन में अब तक 95 से अधिक प्रजातियों की तितलियों की उपस्थिति दर्ज हो चुकी है। जिसमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियां जैसे गोल्डन बर्डवीन, रेड गलेस्टेड, टेल्ड रेडब्रेस्टड, ब्लूटिट, हिमालयन बर्नठ, सिल्क मॉथ, कॉमन पिकॉक, कॉमन ब्रिमस्टोन के अलावा कई प्रजातियां अक्सर दिखाई देती है।

इन होस्ट प्लांट का किया है रोपण

अरविंद कुमार ने बताया कि तितलियों की मौजूदगी के लिए वातानुकूल परिवेश होना जरूरी है। तितलियां खास प्रजाति के पेड़ो में ही अपने अंडे देती है। जिससे अंडों से निकलने वाले लार्वे को भोजन भी मिलता है। जिन पेड़ो को तितली अंडे देने के लिए चुनती है उन्हें होस्ट प्लांट कहा जाता है। वर्तमान में बॉटनिकल गार्डन में तिमूर, नींबू, अरंडी, रेस्टोलोमिया, कड़ी पत्ता,कनेर, चिलमोड़ा, किलमोड़ा, तुसार, बिछु घास समेत फाइनर प्रजाति के पेड़ पौधे मौजूद है।

नेक्टर प्लांट से तितलियां लेती है भोजन

अरविंद कुमार ने बताया कि तितलियां जिन पेड़ पौधों के फूलों के रस को भोजन के लिए प्रयोग करती है उन्हें नेक्टर प्लांट कहा जाता है। वर्तमान में गार्डन में बुडेलिया, सालविया, पारिजात, बरवीना, पिरमुला, आजोगा, डेजी, तुलसी समेत कई फूलों वाले पौधे लगाए गए है।

दुर्लभ प्रजातियों को किया जाता है संरक्षित

गार्डन में तितलियों को अनुकूल वातावरण देने के साथ ही उन्हें संरक्षित भी किया जाता है। डिप्टी रेंजर दीपक तिवारी ने बताया कि तितलियों के अंडों से निकलने वाला लार्वा अक्सर पक्षियों का भोजन बन जाता है। बताया कि यदि किसी दुर्लभ प्रजाति की तितली किसी पेड़ पौधे पर अंडे देती है तो उन अंडों और लार्वे को संरक्षित करने के लिए पेड़ो को नेट से ढ़ककर संरक्षण प्रदान किया जाता है।


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