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टीएमटी टेलीस्कोप के लिए भारतीय वैज्ञानिकों को एकजुट होकर करना होगा चुनौतियों का सामना

थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी) के बुनियादी उपकरण ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोमीटी विकसित किए जाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों के सम्मुख आने वाली चुनौतियां हैं तो समाधान भी ढूंढना होगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 09:57 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 09:57 AM (IST)
टीएमटी टेलीस्कोप के लिए भारतीय वैज्ञानिकों को एकजुट होकर करना होगा चुनौतियों का सामना
टीएमटी टेलीस्कोप के लिए भारतीय वैज्ञानिकों को एकजुट होकर करना होगा चुनौतियों का सामना

नैनीताल, जेएनएन : थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी) के बुनियादी उपकरण ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोमीटी विकसित किए जाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों के सम्मुख आने वाली चुनौतियां हैं तो समाधान भी ढूंढना होगा। भारतीय वैज्ञानिक अपनी जिम्मेदारी को रणनीति के तहत निर्वहन करेंगे। इसी निष्कर्ष के साथ आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) की तीन दिवसीय इंडिया टीएमटी कार्यशाला का समापन हुआ।

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उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में पांच देशों की साझा परियोजना टीएमटी को लेकर आयोजित कार्यशाला में देशभर से आए वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए निदेशक डॉ. वहाबउद्दीन ने कहा कि यह परियोजना भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठा का प्रश्न है। हमें अपनी हिस्से में आए कार्य को अंजाम तक पहुंचाना है। साथ ही दूसरे देशों का सहयोग भी करना होगा। यह परियोजना वैश्विक स्तर की होने के कारण देश की प्रतिष्ठा को शिखर पर पहुंचाएगी। एरीज के पूर्व निदेशक प्रो. रामसागर ने कहा कि दूरबीन निर्माण में एरीज के वैज्ञानिकों के पास एक सीमा तक अनुभव है। जिसे वह इस परियोजना में दूसरे वैज्ञानिको के साथ साझा कर लाभ ले सकते हैं। टीएमटी एरीज के समन्वयक डॉ. शशिभूषण पांडे ने कहा कि परियोजना के शुरुआती चरण से लेकर अभी तक हुए कार्यों में शामिल रह चुके हैं। कार्यशाला में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इससे पूर्व डॉ. अभिजीत चौधरी, डॉ. अमिरूल हसन, डॉ. देविका दिवाकर, राम्या व सिवरानी ने टीएमटी उपकरणों के डिजाइन व हाई रेज्युलेशन स्पेक्ट्रोग्राफ व भवन की निर्माण की सामाग्री पर विचार रखे। कार्यशाला के पश्चात वैज्ञानिकों की टीम देवस्थल स्थित 3.6 मीटर दूरबीन का अवलोकन करने पहुंचे।

वैज्ञानिक डॉ. बृजेश कुमार ने इस दूरबीन के जरिये अभी तक हुए शोध कार्यों से अवगत कराया। साथ ही भविष्य में किए जाने वाले अध्ययन व लगाए जाने वाले उपकरणों की जानकारी दी। इस अवसर पर आइआइए बेंगलुरु की निदेशक प्रो. अन्नपूर्णी सुब्रमणयम, टीएमटी भारत के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. एएन रामप्रकाश, रजिस्ट्रार रविंद्र कुमार, डॉ. आलोक चंद्र गुप्ता, डॉ. सुमन मंडल, डॉ. मयंक नारंग, डॉ. सुष्मिता रानी, डॉ. नरेंद्र सिंह, डॉ. संतोष जोशी, डॉ. स्नेह लता, डॉ मनीष नाजा, डॉ. उमेश मठपाल, मंजू पांडे, रविंद्र कुमार यादव व हरीश तिवारी आदि मौजूद रहे।


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