पर्यावरण संरक्षण का आदत में शुमार करें
जागरण संवाददाता, नैनीताल : जलवायु परिवर्तन को लेकर आयोजित कार्यशाला आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध स
जागरण संवाददाता, नैनीताल : जलवायु परिवर्तन को लेकर आयोजित कार्यशाला आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को जारी रही।एरीज के डॉ. उमेश चंद्र दुम्का ने कहा कि जलवायु में आ रहे परिवर्तन को देखते हुए मानव व पर्यावरण के बीच सामंजस्य स्थापित करना होगा। साथ ही लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करनी होगी। पर्यावरण को नुकशान पहुंचाने वाले कारकों पर अंकुश लगाना होगा। डॉ. बीके उपाध्याय ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को प्रत्येक व्यक्ति को अपने आदत में सुमार करना होगा। इसके लिए व्यापक अभियान चलाए जाने के सख्त आवश्यकता है। डॉ. पी रिशी ने पर्यावरण व मानव के बीच के रिश्ते को समझाया। कई अन्य विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर एरीज, भोपाल, हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, पंत नगर समेत कई अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक व शोधार्थी मौजूद थे। कार्यशाला 27 अप्रेल तक जारी रहेगी। भौतिक सुविधाओं की होड़ ने पर्यावरण संरक्षण से किया दूर
नैनीताल : महानगर के लोग भौतिक सुविधाओं की होड़ में खोए हुए हैं, वहीं नौकरी पेशा लोग आज भी पर्यावरण संरक्षण से दूरी बनाए हुए हैं। जिस कारण देश में पर्यावरण संरक्षण के प्रति व्यापक कवायद नहीं हो पा रही हैं। यह बातें इंडियन इंस्टीट्यूट आफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट भोपाल की पर्यावरण मनोवैज्ञानिक डॉ. पारउल रिशी ने जागरण से सोमवार को बातचीत में कहीं। वह इन दिनों एरीज में जलवायु परिर्वन को लेकर चल रही कार्यशाला में भाग लेने पहुंची हुई हैं। उन्होंने कहा इससे पहले कि बदल रहा मौसम तूफान का रुख अख्तियार कर ले, इसे थामने के लिए सभी को पर्यावरण के प्रति सजग होना पड़ेगा। मौसम की बड़ती दुश्वारियों का घिनौना अतीत हम सबके सामने है। जिसे जानकर भी हम नजरें फेरे हुए हैं। पिछले चंद सालों के अंतराल में आई आपदाएं हमसे बहुत कुछ छीन चुकी हैं। अब इनसे बचाव का रास्ता खोजना ही होगा। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण सोच अपने भीतर पैदा करनी होगी, सोच बदलनी होगी।