क्लीनिक का मामला हाई कोर्ट में, कैंप भरोसे दस हजार मजदूरों का स्वास्थ्य
गौला में काम करने वाले मजदूरों को इस बार भी गेट पर लगने वाले मेडिकल कैंपों पर स्वास्थ्य परीक्षण करवाना होगा। दरअसल, निगम के क्लीनिक का मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है।
हल्द्वानी, जेएनएन : गौला में काम करने वाले मजदूरों को इस बार भी गेट पर लगने वाले मेडिकल कैंपों पर स्वास्थ्य परीक्षण करवाना होगा। दरअसल, निगम के क्लीनिक का मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। जिस वजह से निकासी गेटों पर सरकारी चिकित्सक के जरिये शिविर लगाकर काम चलाया जाएगा। हर साल करीब दस हजार मजदूर बाहर से यहां काम करने आते हैं।
उपखनिज निकासी से मिलने वाली रॉयल्टी का कुछ प्रतिशत वन निगम को संचालन के नाम पर मिलता है। पर्यावरणीय शर्तों के मुताबिक मजदूरों को स्वास्थ्य सुविधा देना निगम की जिम्मेदारी होता है। दो साल पहले तक निगम बकायदा एक क्लीनिक संचालन करता था। जिसमें आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक चिकित्सक के अलावा एक फार्मासिस्ट तैनात रहता था। क्लीनिक का फायदा यह था कि तकलीफ होने पर श्रमिक तुंरत यहां आकर उपचार करा पाते थे। हालांकि पॉलिसी का मामला आड़े आने पर क्लीनिक को बंद करना पड़ा। जिसके बाद तैनात स्टाफ मामले को लेकर कोर्ट चले गया।
वहीं, पर्यावरणीय शर्तों को पूरा करने के लिए पिछले खनन सत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोटाहल्दू के चिकित्सकों से अनुबंध कर 15 दिन के अंतराल में हर गेट पर कैंप लगाकर मजदूरों को दवा वितरित की गई थी। इस सत्र में भी ऐसे ही काम चलेगा।
80 प्रतिशत मजदूरों को कमर दर्द
वन निगम की मानें तो चेकअप के दौरान 80 प्रतिशत मजदूरों को कमर दर्द की शिकायत रहती है और बाकी को एलर्जी आदि की दिक्कत। हालांकि चौंकाने वाली बात यह है कि वाहनों से लगातार धूल उडऩे के बावजूद श्वास संबंधी परेशानी के मामले बेहद कम हैं।
आयुष्मान योजना से मिल सकेगा लाभ
आयुष्मान कार्डधारक को सरकारी व पंजीकृत अस्पताल में पांच लाख तक का मुफ्त इलाज मिलता है। बिहार व यूपी से आने वाले इन मजदूरों का वहां रजिस्ट्रेशन होने पर हल्द्वानी में लाभ मिल सकता है।
मेडिकल कैंप के जरिये श्रमिकों को सुविधा दिलाने का प्रयास
आरएम वन निगम एमपीएस रावत ने बताया कि क्लीनिक का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। मेडिकल कैंप के जरिये श्रमिकों को बेहतर सुविधा दिलाने का प्रयास किया जाएगा। पिछले सत्र में कोई शिकायत नहीं आई थी।
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