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ग्राम्या परियोजना के माध्यम से पहाड़ की महिलाएं हो रहीं हैं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर

ग्राम्या परियोजना के माध्यम से पहाड़ की महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता की इबारत लिख रही हैं। ग्राम्या ने महिलाओं को हुनरमंद बनाने का बीड़ा उठाया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 11:32 AM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 11:32 AM (IST)
ग्राम्या परियोजना के माध्यम से पहाड़ की महिलाएं हो रहीं हैं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर
ग्राम्या परियोजना के माध्यम से पहाड़ की महिलाएं हो रहीं हैं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर

हल्द्वानी, जेएनएन  : ग्राम्या परियोजना के माध्यम से पहाड़ की महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता की इबारत लिख रही हैं। ग्राम्या ने महिलाओं को हुनरमंद बनाने का बीड़ा उठाया है। इसके जरिए वे अब छोटे-छोटे उद्यम अपनाकर स्वरोजगार की तरफ कदम बढ़ा रही हैं। पिछले पांच वर्षों में कुमाऊं के अल्मोड़ा, बागेश्वर व पिथौरागढ़ जिले की 500 से अधिक महिलाओं ने 3.18 करोड़ रुपये की लागत में खुद का रोजगार शुरू किया है। परियोजना की मदद से शुरू स्वरोजगार से कई परिवारों को नियमित आय हो रही है।

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छलिया नृत्य बना रोजगार का जरिया
उत्तराखंड के पारंपरिक छलिया नृत्य को पुरुषों से जोड़कर देखा जाता है। शादी-विवाह जैसे मांगलिक अवसरों के साथ मेले-महोत्सव में छलिया नृत्य देखने को मिलता है। पिथौरागढ़ जिले के होकरा की नौ महिलाओं ने समूह गठित कर छलिया दल तैयार किया है। यह दल पिथौरागढ़ से लेकर देहरादून तक होने वाले महोत्सव में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुका है। समूह अब तक 46 हजार की आय अर्जित कर चुका है।

फूलों की खेती से आर्थिक संपन्नता
अल्मोड़ा जिले के अनुसूचित जाति बाहुल्य फुलई जागेश्वर ग्राम पंचायत की नौ महिलाएं फूलों की खेती कर रही हैं। जया दुर्गा समूह की इन महिलाओं ने पिछले वर्ष मार्च में 11 नाली भूमि पर गेंदे की खेती शुरू की। गुलदस्ते व फूलों की बिक्री से तीन माह में 23,105 रुपये की आय प्राप्त की। मुनाफे का सौदा देख पास के भगरतोला, मंतोलागूंठ, चमुवाखालसा गांव की महिलाएं भी फूलों की खेती करने लगी हैं।

चौलाई के लड्डू दे रहे आमदनी
अल्मोड़ा जिले के फुलई ग्राम पंचायत के जय जागनाथ समूह की 11 महिलाओं ने चौलाई को आमदनी का जरिया बनाया है। ग्राम्या के माध्यम से महिलाओं को चौलाई के लड्डू, प्रसाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। निर्बल कोष से 25 हजार रुपये की मदद दी गई। फरवरी 2018 से अब तक समूह 1.04 लाख की शुद्ध आय कर चुका है। बिक्री में जागेश्वर मंदिर प्रबंध समिति सहयोग करती है।

स्‍वरोजगार से महिलाओं को जोड़ा जा रहा
पीके सिंह, परियोजना निदेशक, ग्राम्या कुमाऊं ने बताया कि ग्राम्या के माध्यम से ग्रामीणों को उनकी क्षमता व रुचि के अनुरूप स्वरोजगार से जोड़ा जाता है। परियोजना से जुड़कर कई परिवार अच्छी आय कर रहे हैं।

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