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गंगा-गाय योजना से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं, अब तक जिले में करीब 405 हो चुकीं लाभाविंत

गंगा-गाय डेरी योजना के तहत अब तक ऊधमसिंह नगर में चार सौ से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार मिला है। सरकार के इस योजना से महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 06:54 PM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2019 06:54 PM (IST)
गंगा-गाय योजना से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं, अब तक जिले में करीब 405 हो चुकीं लाभाविंत
गंगा-गाय योजना से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं, अब तक जिले में करीब 405 हो चुकीं लाभाविंत

ओपी चौबे, रुद्रपुर। गंगा-गाय डेरी योजना के तहत अब तक ऊधमसिंह नगर में चार सौ से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार मिला है। सरकार के इस योजना से महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। वहीं वह अपने परिवार का भरण-पोषण के साथ ही बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दे रही हैं। इस योजना से लाभान्वित कई महिलाओं का भविष्य संवर गया है। महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिल रहा है। वहीं इस योजना से काशीपुर निवासी शकुंतला देवी, शांतिपुरी की रुक्मणी देवी, नकुलिया की किरनवती व विचपुरी की शीला सहित 405 महिलाओं की बेरोजगारी दूर होकर नया रोजगार मिल गया है। इससे वह अपने बच्चों को दूध पिलाने के साथ ही प्रतिदिन लगभग डेढ़ सौ से अधिक रुपये का आमदनी का नया जरिया मिल गया है।

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जिले के धौड़ाडाम निवासी गुडिय़ा देवी, सकौनिया की शीला रानी, शांतिपुरी दीपा देवी, बांसखेड़ी की जनक रानी, विक्रमपुर की हरदीप कौर के घर की आर्थिक हालत खराब थी और इनके परिवार में कोई अन्य रोजगार भी नहीं था। इनके परिवार के सदस्य अपने थोड़ी सी जमीन में खेती करते थे, लेकिन घर का खर्च भी इससे निकल नहीं पा रहा था। ऊपर से बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ ही परवरिश की ङ्क्षचता दिनों दिन इन्हें सता रही थी। इन लोगों को दुग्ध संघ की डेरी योजना की जानकारी होने पर उन्होंने अपने गांव के दुग्ध समिति के सचिव से बात की और गाय लेने के लिए फार्म भरें। कुछ महीनों में इन्हें विभाग ने लोन मंजूर कराने के बाद गाय की खरीदारी करा दी। गाय आने के बाद इन लोगों के यहां 16 लिटर से लेकर 20 लिटर तक दूध का उत्पादन होने लगा। घर में दूध होने से एक तरफ जहां बच्चों को खाने-पीने की सुविधा हुई। वहीं दूसरी ओर इन्होंने फैट के अनुसार 26 से 30 रुपये लिटर के हिसाब से समिति में 14 से 18 लिटर तक दूध देने लगे। इससे इन्हें खर्च काटकर डेढ़ से ढाई सौ रुपये की प्रतिदिन आमदनी होने लगी। वहीं आमदनी और पैसा बढऩे पर इनमें से कई के पास आज एक गाय से तीन, चार गाय हो गई हैं। आज यह महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम होते हुए समाज के विकास में अपनी भागीदारी भी दे रही हैं।

डेरी विकास विभाग, उत्तराखंड के तत्वावधान में संचालित गंगा गाय डेरी योजना के अंतर्गत प्रदेश में ग्रामीण स्तर पर कार्यरत प्राथमिक दुग्ध सहकारी समितियों की महिला दुग्ध उत्पादक सदस्यों को एक-एक दुधारू गाय क्रय करने के लिए ऋण व अनुदान उपलब्ध कराता है। इस योजना की प्रति यूनिट लागत 52 हजार है। जिसके तहत एक क्रास ब्रीड की गाय की लागत 40 हजार रुपये है, जिसमें अनुदान की धनराशि 20 हजार व बैक ऋण की राशि 20 हजार दी जाती है। इसके लिए परिवहन लागत 2800 रुपये, अनुदान 1400 रुपये व लाभार्थी का अंशदान 1400 रुपये होता है। वहीं पशु के तीन वर्ष की बीमा 1920 रुपये में अनुदान व लाभार्थी का अंशदान 960-960 रुपये होता है। विभाग पशु के लिए नाद, चरी के लिए दो हजार रुपये देता है जिसमें दो हजार रुपये अनुदान भी मिलता है। गाय के चारे के लिए 5280 रुपये में 2640 रुपये अनुदान मिलता है और लाभार्थी का अंशदान भी 2640 रुपये का होता है। ब्रजेश ङ्क्षसह, सहायक निदेशक डेरी, ऊधमङ्क्षसह नगर का कहना है कि सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हम कृत संकल्पित हैं। हम योजना का लाभ सभी को मिले इसके लिए लोगों को जागरूक करने का कार्य भी करते रहते हैं।

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