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अंगीठी की गैस से दम घुटने पर महिला की मौत, ससुर के श्राद्ध में मुंबई से आई थी गांव

डैंसली गांव के पूर्व ग्राम प्रधान शिवराज सिंह बिष्ट की भाभी 41 वर्षीय उमा बिष्ट अपने पति गोपाल सिंह और दो बच्चों के साथ अपने ससुर ईश्वर सिंह के वार्षिक श्राद्ध में शामिल होने मुंबई से 31 दिसंबर को अपने पैतृक गांव आई थी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 10:15 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 10:15 PM (IST)
रात खाना खाने के बाद उमा ठंड से बचने के लिए अंगीठी जलाकर कमरे में सो गई।

संवाद सहयोगी, लोहाघाट : विकास खंड के डैंसली गांव में एक महिला की अंगीठी की गैस से दम घुटने से मौत हो गई। मृतका अपने ससुर के वार्षिक श्राद्ध में परिवार सहित मुंबई से गांव आई थी। बुधवार को स्थानीय श्मशान घाट में मृतका का अंतिम संस्कार कर दिया। घटना के बाद से स्वजनों में कोहराम मचा हुआ है।

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डैंसली गांव के पूर्व ग्राम प्रधान शिवराज सिंह बिष्ट की भाभी 41 वर्षीय उमा बिष्ट अपने पति गोपाल सिंह और दो बच्चों के साथ अपने ससुर ईश्वर सिंह के वार्षिक श्राद्ध में शामिल होने मुंबई से 31 दिसंबर को अपने पैतृक गांव आई थी। मंगलवार की रात खाना खाने के बाद उमा ठंड से बचने के लिए अंगीठी जलाकर कमरे में सो गई। बुधवार की सुबह स्वजन चाय देने के लिए उमा के कमरे में गए तो दरवाजा नहीं खुला। अनहोनी की आशंका होने पर स्वजन दरवाजा तोड़कर कमरे में गए। जहां उमा अचेत अवस्था में पड़ी हुई थी। आनन फानन स्वजन उसे उप जिला अस्पताल लोहाघाट लाए। जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। 

जानलेवा है बंद कमरे में अंगीठी जलाना

अंगीठी की गैस लगने से मौत होने का यह नया मामला नहीं है। गत वर्ष 11 दिसंबर को चंडीगढ़ से अपने घर बारकोट के पाड़ासों सेरा गांव आए गिरधर सिंह और उनकी पत्नी कलावती देवी की दम घुटने से मौत हो गई थी। पिछले दो साल में गैस लगने से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। बार-बार होने वाली इन घटनाओं के बाद भी लोग सबक नहीं ले रहे हैं। पहाड़ में सर्दी के मौसम में ठंड से बचने के लिए लोग अंगीठी या हीटर का सहारा लेते हैं। लेकिन कुछ लोग रात में दरवाजे और खिड़कियां बंद कर अंगीठी जलाकर ही सो जाते हैं। इस गलती की कीमत उन्हें जान देकर चुकानी पड़ती है।

उप जिला चिकित्सालय प्रभारी सीएमएस डा. जुनैद कमर ने बताया कि बंद कमरे में अंगीठी का प्रयोग खतरे से खाली नहीं है। अंगीठी में कच्चे कोयले या लकड़ी का इस्तेमाल होता है। कोयला बंद कमरे में जल रहा हो तो इससे कमरे में कार्बन मोनोआक्साइड बढ़ जाता है और आक्सीजन का लेवल घट जाता है। कार्बन मोनोआक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच कर खून में मिल जाती है। इससे खून में हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और अंत में इंसान की मौत हो जाती है।


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