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Swachh Survekshan 2021 : इंदौर जैसा प्रदर्शन क्‍यों नहीं कर पा रहा है हल्‍द्वानी नगर निगम, जानिए कहा हैं खामियां

Swachh Survekshan 2021 कोई भी बदलाव बिना जन भागीदारी के संभव नहीं। स्वच्छता के मामले में पिछड़ेपन की स्थिति पर भी यही फार्मूला लागू होता है। शहर की स्वच्छता को लेकर आम जन से लेकर निगम प्रशासन तक गंभीरता नहीं दिखाता।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 08:56 AM (IST)
Swachh Survekshan 2021 : इंदौर जैसा प्रदर्शन क्‍यों नहीं कर पा रहा है हल्‍द्वानी नगर निगम, जानिए कहा हैं खामियां
Swachh Survekshan 2021 : इंदौर जैसा प्रदर्शन क्‍यों नहीं कर पा रहा है हल्‍द्वानी नगर निगम, जानिए कहा हैं खामियां

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Swachh Survekshan 2021 : कोई भी बदलाव बिना जन भागीदारी के संभव नहीं। स्वच्छता के मामले में पिछड़ेपन की स्थिति पर भी यही फार्मूला लागू होता है। शहर की स्वच्छता को लेकर आम जन से लेकर निगम प्रशासन तक गंभीरता नहीं दिखाता। निगम प्रशासन व सामाजिक संस्थाएं कुछ दिन अभियान चलाती हैं तो सुधार दिखता है, लेकिन समय बीतने के साथ सब कुछ पुराने ढर्रे पर आ जाता है।

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नगर निगम हल्द्वानी के पुराने 33 वार्डों में ही करीब 30 हजार घरों व पांच हजार व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से रोज कूड़ा उठता है। सामान्य परिवारों से 60 रुपये व मलिन बस्तियों से प्रति परिवार 40 रुपये प्रतिमाह यूजर चार्ज तय है। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से 50 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये यूजर चार्ज लिया जाता है। एक औसत के आधार पर ही प्रति माह 20 लाख रुपये से अधिक यूजर चार्ज बनता है, जबकि नगर निगम के पास साढ़े छह से सात लाख रुपये ही आता है।

इसके बदले घर-घर से कूड़ा उठान करने वाली कंपनी को निगम हर माह 17 लाख रुपये तक भुगतान करता है। ऐसे में 60 प्रतिशत परिवार यूजर चार्ज भी नहीं चुकाते। कूड़ा अलग-अलग देने को लेकर भी जागरूकता नहीं है। सुस्त शहरवासियों पर निगम प्रशासन का ढुलमुल रवैया सकारात्मक बदलाव की राह में बाधा बनता है।

डा. मनोज कांडपाल, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी से दो टूक

सवाल : स्वच्छता में जन भागीदारी बढ़ाने को क्या कर रहे हैं?

जवाब : समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाते हैं। आगे भी चलाएंगे।

सवाल : अभियान के बाद भी स्थिति सुधरने के बावजूद बिगड़ क्यों गई?

जवाब : थोड़ा बदलाव आया है। इस बार मूल्यांकन की प्रवृत्ति बदली हुई थी।

सवाल : यूजर चार्ज वसूली बढ़़ाने के लिए क्या करेंगे?

जवाब : यूजर चार्ज न देने वालों पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम 2016 के तहत जुर्माने की कार्रवाई होगी।

निगम प्रशासन पहला कदम बढ़ाए, कारवां हम जोड़ेंगे

शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था के पीछे इच्छा शक्ति का अभाव बड़ी वजह है। पालीथिन बाबा के नाम से प्रसिद्ध शिक्षाविद् डा. प्रभात उप्रेती का कहना है कि नगर निगम प्रशासन कूड़ा वाहनों में डालना सभी के लिए अनिवार्य कर दे। इसकी प्रभावी निगरानी हो तो व्यवस्था अपने आप बदल जाएगी। निगम प्रशासन पहला कदम बढ़ाए तो कारवां हम जोडऩे के लिए तैयार हैं। गैस गोदाम रोड विवेक विहार निवासी डा. उप्रेती पिथौरागढ़ डिग्री कालेज से रिटायर्ड होने के बाद हल्द्वानी में आकर बस गए। पालीथिन व कूड़े को दूर करने के लिए मिशन बनाकर चले। कंधे पर कपड़े का झोला और हाथ में लाठी लिए कालोनियों में जाकर लोगों को कूड़ा खुले में नहीं फेंकने के लिए जागरूक किया। डा. उप्रेती कहते हैं कि 2013 में यह मुहिम छेड़ी। खुद अस्वस्थ होते हुए जनता में चेतना जगाते रहे। 20 वर्षों से अधिक समय से स्वच्छता को लेकर कार्य करने वाले डा. उप्रेती बताते हैं गंदगी हमारे आसपास नहीं बल्कि लोगों के मन में घर कर गई है। कई प्रबुद्ध लोग भी रात के अंधेरे में नहरों व खुली जगहों पर कूड़ा फेंक देते हैं। केवल अधिनियम बना देने से बदलाव नहीं आएगा। कूड़ा फैलाने वालों को दंडित करना होगा।


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