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उत्तराखण्ड चुनाव 2022: कौन हैं काशीपुर से भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक चीमा, क्यों पार्टी ने बनाया उम्मीदवार

उत्तराखण्ड चुनाव 2022 काशीपुर विधानसभा सीट कुमाऊं की चर्चित सीट है। हरभजन सिंह चीमा यहां से भाजपा से विधायक हैं। इस बार पार्टी ने उनके बेटे त्रिलोक चीमा को टिकट दिया है। काशीपुर सीट की हरभजन सिंह चीमा को बेहतर समझ है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 02:47 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 02:47 PM (IST)
उत्तराखण्ड चुनाव 2022: कौन हैं काशीपुर से भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक चीमा, क्यों पार्टी ने बनाया उम्मीदवार
उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : भाजपा ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है।

अभय पांडेय, काशीपुर : उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : भाजपा ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है। कुमाऊं की चर्चित सीट काशीपुर से पार्टी ने त्रिलोक चीमा को प्रत्याशी बनाया है। त्रिलाेक पिछले चार बार से काशीपुर विधानसभा सीट से विधायक हरभजन सिंह चीमा के बेटे हैं। काशीपुर से अन्य दावेदार इस आशा में थे कि उनकी उम्र सीमा पार्टी की तय नीति से आगे चल रही है ऐसे में उनके लिए मौका मिल सकता है। इसी बीच चीमा ने मास्टर स्टोक खेलते हुए टिकट दावेदारी में अपना नाम पीछे करते हुए अपने पुत्र की दावेदारी कर सभी को चौंका दिया। भले ही टिकट दावेदारों को यह परिवारवाद नजर आया लेकिन बीजेपी आलाकामान को ऐसा उम्मीदवार मिला जो चीमा की मौजूदगी को जिंदा रखते हुए तराई में सिख वोट बैंक का साध सकता है।

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काशीपुर सीट की हरभजन सिंह चीमा को बेहतर समझ है। अपने खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी तोड़ने में महारथ हासिल है। काशीपुर सीट में हरभजन सिंह चीमा को समय एहसास हो गया था कि उनकी उम्र को लेकर इस चुनाव में स्थिति फंस सकती है। पहले कयास लगाया जा रहा था कि वर्तमान मेयर ऊषा चौधरी के नाम उनके उत्तराधिकारी के रूप में सामने आ सकती हैं लेकिन आखिरी वक्त में आठ अक्टूबर 2021 को उन्होंने अपनी मौजूदगी बनाए रखने और उत्तराधिकारी के रूप में अपने बेटे का नाम आगे कर दिया। सूत्रों की माने तो इस निर्णय को लेने से पहले उन्होंने बीजेपी संगठन के शीर्ष नेताओं को इसकी जानकारी दे भी दे थी। इसकाे लेकर उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी। यही कारण है कि उन्होंने बेटे को सीएम के जरिये प्राथमिक सदस्यता दिलाते हुए चुनावी बिगुल में फूंका था।

त्रिलोक ने ऐसे मारी बाजी

काशीपुर की राजनीति में पिछला दो दशक विधायक हरभजन सिंह चीमा के इर्द- गिर्द ही घूमता रहा है। भाजपा में टिकट दावेदारों की लंबी फेहरिस्त में सरदार का नाम फिर असरदार साबित हुआ। बात करें तो त्रिलोक के पास राजनीतिक अनुभव के नाम पर पिता से मिली विरासत उनके साथ है। पिछले चार चुनाव जीतने का अनुभव चीमा परिवार के साथ है जो टिकट पुख्ता करने का मजबूत आधार बना। तराई में सिख समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर भी चीमा का नाम आगे रहा है। इस बार बाजपुर में 20 गांवों के मामले को सुलझाने में विधायक चीमा का नाम सबसे आगे रहा। खास बात यह रही कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी त्रिलोक की दावेदारी को लेकर हक में रहे।


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