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कोरोना में नौकरी गई तो पहाड़ की लोक कला ने संवारा, इंद्रा सहित 150 से अधिक महिलाएं बना रहीं ऐपण

वर्तमान में इंद्रा कलारंभ आर्ट्स के नाम की पंजीकृत कंपनी की मालिक हैं। इंद्रा खुद भी इस व्यवसाय से जुड़कर आजीविका चला रहीं हैं साथ ही उनके साथ 150 से अधिक गृहिणियों के लिए भी यह आय का साधन बन गया है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 18 Dec 2021 01:31 PM (IST)Updated: Sat, 18 Dec 2021 01:31 PM (IST)
कोरोना में नौकरी गई तो पहाड़ की लोक कला ने संवारा, इंद्रा सहित 150 से अधिक महिलाएं बना रहीं ऐपण
इंद्रा ने विलुप्त होती कुमाऊं की ऐपण संस्कृति को बचाने के साथ खुद अच्छी आय अर्जित की।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : लगन और मेहनत के बल पर आपदा भी अवसर में बदल जाते है। इस बात को अल्मोड़ा जिले की इंद्रा अधिकारी ने साबित किया है। कोरोना काल में नोएडा की कॉर्पोरेट कंपनी में जॉब गवा इंदिरा ने कठोर मेहनत कर ऐपण को आजीविका का जरिया बनाया। नौकरी छूट जाने के बाद आज अपने गृह जनपद में ही 'इंद्रा कलारंभ आर्ट्स' के नाम से संस्था चला रहीं हैं। इंद्रा ने विलुप्त होती कुमाऊं की ऐपण संस्कृति को बचाने के साथ खुद अच्छी आय अर्जित की। वहीं करीब 150 से अधिक महिलाअों के लिए भी वह स्वरोजगार का साधन बन गई हैं।

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अल्मोड़ा जिले के मजखाली निवासी इंद्रा अधिकारी नोएडा की एक कॉर्पोरेट कंपनी में जॉब करती थी। मार्च 2020 में जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन के बीच उनकी नौकरी छूट गई। इंद्रा को बचपन से ही ऐपण कलाओं में काफी रूचि रही है। ऐपण कला की रूचि उन्हें मई 2020 में वापस अपने गृह जनपद अल्मोड़ा ले आई। पति भूपेंद्र सिंह अधिकारी के सहयोग से उन्होंने यहां ऐपण कला को अपनी आजीविका बनाने की ठानी।

कुमाऊंनी पारंपरिक ऐपण और होम डेकोर, वाल पेंटिंग आदि को सीधे बाजार और सोशल मीडिया से जोड़कर लोकप्रियता हासिल की। वर्तमान में इंद्रा कलारंभ आर्ट्स के नाम की पंजीकृत कंपनी की मालिक हैं। इंद्रा खुद भी इस व्यवसाय से जुड़कर आजीविका चला रहीं हैं, साथ ही उनके साथ 150 से अधिक गृहिणियों के लिए भी यह आय का साधन बन गया है। उनके नेतृत्व में महिलाएं संस्था को नई ऊंचाई की ओर ले जाने के प्रयास को सार्थक करने में जुटी है।


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