जलवायु परिवर्तन से मौसम चक्र प्रभावित, गर्मी हो रही लंबी, सिकुड़ रहा बरसात व सर्दी का दायरा
जलवायु परिवर्तन से मौसम चक्र प्रभावित हो रहा है। गर्मी का दायरा बढ़ रहा है जबकि सर्दी व वर्षा ऋतु की अवधि घट रही है।
हल्द्वानी, गणेश पांडे : जलवायु परिवर्तन से मौसम चक्र प्रभावित हो रहा है। गर्मी का दायरा बढ़ रहा है, जबकि सर्दी व वर्षा ऋतु की अवधि घट रही है। देश में दक्षिणी पश्चिमी मानसून केवल देरी से ही नहीं आ रहा, बल्कि बारिश के दिन भी कम हो गए हैं। जून से सितंबर के बीच 80 से 100 दिन होने वाली बारिश का आंकड़ा अब 40 से 60 दिन रह गया है।
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप सर्दी, गर्मी व बारिश के मौसम की अवधि में भी बदलाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है। इसके कारण पिछले कुछ वर्षों से सर्दी व गर्मी का असर आमतौर पर देर से महसूस होना शुरू हो रहा है। यह असर अधिक समय तक रहने पर मानसून की गतिविधि पर प्रभाव पड़ता है।
साल-दर-साल कम हुई बारिश की अवधि
पंतनगर विवि का 28 वर्षों का अध्ययन बताता है कि ऊधमसिंह नगर में औसतन 54 दिन बारिश होती है। इस बार महज 36 दिन (21 सितंबर तक) बारिश हुई। यूनिवर्सिटी की तकनीकी अधिकारी डॉ. जया धामी के मुताबिक पिछले साल 42 दिन बारिश हुई। इससे पिछले वर्षों में भी औसत से कम दिन बारिश हुई। बारिश में भी कमी आई है।
यह है मानसून में देरी की वजह
वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून के समय पर पहुंचने के लिए दक्षिणी गोलार्ध में उच्च दबाव का क्षेत्र बड़े दायरे और प्रभाव वाला होना आवश्यक है। साथ ही जरूरी है कि सोमालिया कोस्ट से 30 से 35 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली कम दबाव वाली हवाएं भारत की ओर समय से आएं। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से ऐसा नहीं हो पा रहा।
बदलेगी मानसून की तारीख
मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए सरकार मानसून की दस्तक व वापसी की तारीखों में बदलाव कर सकती है। फिलहाल एक जून मानसून के दस्तक देने की तारीख है। जबकि एक सितंबर से पश्चिमी राजस्थान होते हुए मानसून की वापसी शुरू होती है और 30 सितंबर तक पूरी तरह विदा हो जाता है। तारीखों की समीक्षा के लिए गठित गाडगिल समिति की रिपोर्ट के बाद मानसून के आगमन व प्रस्थान की तिथि में पांच से दस दिन के बदलाव की संभावना व्यक्त की जा रही है।
इसलिए पड़ी जरूरत
पिछले कुछ वर्षों से सर्दी व गर्मी का असर आमतौर पर देर से महसूस होना शुरू हो रहा है। डॉ. आरके सिंह के मुताबिक यह असर अधिक समय तक रहने से इसका प्रभाव मानसून की गतिविधि पर पड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में मानसून के आगमन में देरी के कारण इसकी वापसी भी 20 दिन देरी से हो रही है। इस वजह से मानसून की तिथियों में बदलाव की बात कही जा रही है।
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