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चीन-नेपाल सीमा के तीन दर्जन से अधिक गांवों के लिए मौसम बना कर्फ्यू, सेना से भी कटा संपर्क

चीन सीमा को जोडऩे वाली सड़कों के बंद होने से चीन और नेपाल सीमा से लगे तीन दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों के साथ ही सेना आइटीबीपी और एसएसबी के जवान भी प्रभावित हो गए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 09:12 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 07:27 AM (IST)
चीन-नेपाल सीमा के तीन दर्जन से अधिक गांवों के लिए मौसम बना कर्फ्यू, सेना से भी कटा संपर्क
चीन-नेपाल सीमा के तीन दर्जन से अधिक गांवों के लिए मौसम बना कर्फ्यू, सेना से भी कटा संपर्क

जेएनएन, धारचूला/मुनस्यारी : चीन सीमा को जोडऩे वाली सड़कों के बंद होने से चीन और नेपाल सीमा से लगे तीन दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों के साथ ही सेना, आइटीबीपी और एसएसबी के जवान भी प्रभावित हो गए हैं। मार्ग बंद होने से अद्धसैनिक बलों का अग्रिम चौकियों तक सामान पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।

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चीन सीमा तक की तवाघाट-लिपुलेखसड़क सर्वाधिक महत्व की है। व्यास घाटी में बनी इस सड़क के बंद होने से उच्च हिमालय के कुटी, गुंजी, गब्र्याग, रोंगकोंग, नपलच्यु, नाबी, बूंदी के साथ गर्बाधार, तांकुल, मांगती, गस्कू, पांगला, सिकलखोला, बुंगबुंग, गाला, सिर्खा सहित आसपास के गांव अलग थलग पड़ गए हैं। इन सभी गांवों का बाजार धारचूला है। इस घाटी में आइटीबीपी, सेना, एसएसबी के कैंप हैं। सारा सामान इसी मार्ग से जाता है। मार्ग बंद होने से आवश्यक सामान की नियमित आपूर्ति बाधित हो गई है।

दूसरी सड़क तवाघाट-सोबला-तिदांग है। दारमा घाटी की इस सड़क से दर, बोगलिंग, सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, दुग्तू, दांतू, सौन, ढाकर, सीपू, तिदांग, गो, विदांग के अलावा तल्ला दारमा के सुमदुंग, न्यू, सुवा, उमचिया, वतन, खेत, खेला, गगुर्वा, स्यांकुरी, जुम्मा गांव और आइटीबीपी की अग्रिम चौकियां हैं। इस क्षेत्र में आवाजाही के लिए एकमात्र यही रास्ता विकल्प है। गांवों का बाजार, चिकित्सा केंद्र, बैंक सब धारचूला में है। आइटीबीपी की अग्रिम चौकियों के लिए सारी आपूर्ति धारचूला होते हुए होती है। जो पूरी तरह ठप हो गई है।

तीसरी सड़क मुनस्यारी से मिलम वाली है। इस मार्ग से धापा, सैनर, प्यांगती, क्वीरी, जीमिया, बुई ,पातों, साईपोलू, जिमिघाट से लेकर चीन सीमा से लगे जिमिघाट, लास्पा, रिलकोट, बुगडियार, बुर्फू, टोला, खैंलांच, मर्तोली, ल्वा, पांछू, गनघर, मिलम जुड़े हैं। घाटी में आइटीबीपी की चौकियां हैं। इस मार्ग के ग्रामीणों का अस्पताल, बैंक, बाजार मुनस्यारी है। सामरिक महत्व की इन सड़कों का बंद होना काफी अखर रहा है। एसडीएम धारचूला एके शुक्ला ने बताया कि सामरिक महत्व के इन मार्गों को खोलने के लिए बीआरओ और सीपीडब्ल्यूडी की टीमें लगी हुई हैं। जल्द ही इन्हें खोला जाएगा। 

कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर दो दिन ही आवागमन

व्यास घाटी क्षेत्र से गुजरने वाले कैलास मानसरोवर यात्रा पथ पर बीआरओ ने सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही आवागमन की छूट की है। सप्ताह भर पूर्व के इस फैसले से स्थानीय ग्रामीण भड़क गए हैं। ग्रामीणों ने पूजा पाठ के इस माह में इस तरह का प्रतिबंध लगाए जाने पर विरोध जताया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने व्यास घाटी के अंतर्गत आने वाले सात गांवों के लोगों समेत सभी के लिए शनिवार और रविवार को ही वाहनों से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर आवागमन की छूट दी है। शेष दिन सड़क पर आवागमन प्रतिबंधित कर दिया है।

यातायात प्रतबिंधित करना सही नहीं 

प्रशासन के इस फैसले से धारचूला बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष विरेंद्र सिंह की अगुवाई में मंगलवार को यह मामला उपजिलाधिकारी के सामने रखते हुए संबंधित गांव के ग्रामीणों ने कहा है कि श्रावण मास में व्यास घाटी के गांवों में विशेष पूजा अर्चना के कार्यक्रम होते हैं। इसके लिए देश भर में कार्य कर रहे स्थानीय लोग अपने गांव आते हैं, लेकिन यातायात पर प्रतिबंध के कारण लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क होने के बावजूद लोगों को आवाजाही के लिए प्रतिबंधित करना न्यायोचित नहीं है। ग्रामीणों ने लगाए गए प्रतिबंध अविलंब हटाए जाने की मांग की। प्रतिबंध नहीं हटाए जाने पर सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है। 

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