Uttarakhand Chunav 2022 : इंतजार में गुजरे 21 साल, मैग्नेसाइट फैक्ट्री बनती तो सीमांत में रोजगार को लगते पंख, पलायन पर लगाम
कभी हजारों लोगों को रोजगार देने वाली इस फैक्ट्री के ताले खुलने की उम्मीदें समय के साथ खत्म होती जा रही है। राजनैतिक दलों ने भी रोजगार का अच्छा माध्यम हो सकने वाली फैक्ट्री को अपनी सूची से बाहर कर दिया है।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के चंडाक क्षेत्र में स्थित मैग्नेसाइट फैक्ट्री का भविष्य 21 सालों बाद भी तय नहीं हो पाया है। कभी हजारों लोगों को रोजगार देने वाली इस फैक्ट्री के ताले खुलने की उम्मीदें समय के साथ खत्म होती जा रही है। राजनैतिक दलों ने भी रोजगार का अच्छा माध्यम हो सकने वाली फैक्ट्री को अपनी सूची से बाहर कर दिया है।
राज्य गठन से पूर्व चंडाक क्षेत्र में मैग्नीज की उपलब्धता को देखते हुए मैग्नेसाइट फैक्ट्री की स्थापना की गई थी। उम्दा क्वालिटी का मैग्नेसाइट देश की स्टील फैक्ट्रियों में भेजा जाता था। जहां इसका उपयोग उपयोग लोहा बनाने वाली भट्टियों में होता था। उड़ीसा तक पहुंचने वाले इस खनिज के जरिए हजारों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ था। राज्य गठन से पहले ही फैक्ट्री में ताले लग गए, तब से आज तक इस फैक्ट्री दरवाजे नहीं खुल सके। आज भी क्षेत्र में मैग्नीज बहुतायत में उपलब्ध है, लेकिन पिछले 20 वषाे में उत्तराखंड की सत्ता संभालने वाले राजनैतिक दलों की सूची में यह फैक्ट्री स्थान नहीं बना पाई।क्षेत्र के लोग लंबे समय से इस विशाल
परिसर में स्थानीय उपलब्धता के आधार पर कोई उद्यम लगाए जाने की मांग उठा रहे हैं, लेकिन आज तक इस ओर कोई पहल नहीं हुई है। मैग्नेसाइट फैक्ट्री के पूर्व यूनियन लीडर सीएम अवस्थी का कहना है कि फैक्ट्री में काम करने वाले वर्करों के करोड़ों रुपये का भुगतान भी आज तक नहीं हुआ।
इसलिए बंद हुई फैक्ट्री
चंडाक क्षेत्र से निकलने वाले खनिज को मैदानी क्षेत्रों में स्थित फैक्टि्यों तक पहुंचाने में लागत बहुत अधिक आ रही थी। तब न आल वेदर जैसी सड़क थी और नहीं पर्याप्त वाहन। इसी बीच देश में उदारीकरण शुरू होने के बाद चीन से सस्ता खनिज भारत आने लगा, जिसके चलते भारतीय खनिज महंगे हो गए। लगातार घाटे के चलते फैक्ट्री को बंद करना पड़ा। फैक्ट्री का कुप्रबंधन भी एक बड़ा कारण रहा।