'विमर्श' ने दुष्कर्म के आरोपितों को पहुंचाया जेल
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अभी बहुत समय नहीं हुआ है। चाइल्ड लाइन 1098 पर फोन आया। संयोग से फोन मैं
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अभी बहुत समय नहीं हुआ है। चाइल्ड लाइन 1098 पर फोन आया। संयोग से फोन मैंने ही रिसीव किया। फोन करने वाली महिला ने कहा कि मेरे बेटे के साथ गलत हुआ है। मुझे मदद चाहिए। मैंने उनकी समस्या सुनी और फिर घर पहुंच गया। बच्चे से बात की। उसने मुझे इतनी बात बता दी, जितनी अपनी मां को भी नहीं बता सका था। शिक्षक ने उसके साथ जो हरकत की थी, सुनकर हैरान हो गया। विमर्श संस्था के कार्यकर्ता विनोद कुमार टम्टा बताने लगे, इसके बाद उस शिक्षक से बात करने गया। तमाम ऐसी बातें जानने की कोशिश की, जिससे कि वह सच उगल दे। उसने कुछ नहीं बोला। वहीं दूसरी ओर समझौता करने के लिए पीड़ित के घर पहुंच गया, लेकिन पीड़ित परिवार ने उसे घर से भगा दिया। बच्चे की मां ने मुकदमा दर्ज करवाया और उसके खिलाफ कार्रवाई हुई। घटना से डरा बच्चा नहीं जा रहा था स्कूल
जब शिक्षक ने उसके साथ गलत हरकत की, वह अपनी मां को नहीं बता सका, लेकिन स्कूल जाने से मना करने लगा। मां ने एक दिन उसे डांट के स्कूल भेजा तो वह रास्ते में बैठा रहने लगा। छुट्टी के समय घर आ जाता था। मां स्कूल गई, तो पता चला बच्चा स्कूल नहीं आ रहा है। बच्चा को शिक्षक के सामने ले गए तो उसने उसे देखने से मना कर दिया था। बच्चे की कराई गई काउंसलिंग
घटना से भयभीत बच्चे की काउंसलिंग कराई गई। संस्था के लोग उसे बाल मनोवैज्ञानिक के पास ले गए। धीरे-धीरे बच्चा सामान्य हो सका और स्कूल जाने लगा। पिछले महीने ही 35 मामले आए सामने
विनोद कुमार का कहना है कि हमारी संस्था के पास पिछले महीने 35 मामले बाल यौन शोषण के सामने आए थे। इसमें लड़की के साथ ही नहीं, बल्कि लड़कों के साथ भी कुकर्म की घटना के मामले थे। कुछ मारपीट और कुछ अन्य तरह के मामले थे। इन मामलों में कार्रवाई कराई गई। अगर किसी बच्चे के साथ किसी तरह की घटना होती है तो 1098 चाइल्ड लाइन पर फोन किया जा सकता है।
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जागरूकता बेहद जरूरी
संस्था की निदेशक कंचन भंडारी कहती हैं, हमारी संस्था शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों व किशोरों की सुरक्षा के लिए काम करती है। अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने से लेकर पीड़ित का आत्मविश्वास जगाने का काम करते हैं। स्कूलों में जाकर गुड व बैड टच के बारे में जागरूक किया जाता है। माता-पिता को भी जागरूक होने की जरूरत
संस्था की निदेशक कहती हैं, माता-पिता को भी जागरूक व संवेदनशील होने की जरूरत है। बच्चों की बातों को ध्यान से सुनना चाहिए। अगर वह किसी तरह की बात बताता है, तो उसकी सच्चाई का पता अवश्य लगाना चाहिए।