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कोरोना जांच की गलत रिपोर्ट पर ग्रामीणों को चार घंटे तक सड़क पर बैठाया

हल्द्वानी के 111 ग्रामीणों के कारोना पॉजिटिव निकलने पर हल्ला मच गया। बाद में पता चला कि रिपोर्ट निगेटिव है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 10:11 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 10:11 AM (IST)
कोरोना जांच की गलत रिपोर्ट पर ग्रामीणों को चार घंटे तक सड़क पर बैठाया
कोरोना जांच की गलत रिपोर्ट पर ग्रामीणों को चार घंटे तक सड़क पर बैठाया

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोरोना के नाम पर शहरों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी फजीहत हो रही है। आइवीआरआइ मुक्तेश्वर की लैब से पहले 111 ग्रामीणों के कोरोना पॉजिटिव निकलने पर हल्ला मच गया। इसके बाद छीमी (कोश्याकुटौली तहसील) के करीब 51 लोगों को कोविड केयर सेंटर भेजने के लिए डेढ़ किलोमीटर पैदल सड़क तक बुलाया गया। चार घंटे तक इन्हें लेने के लिए गाड़ी नहीं आई और न कुछ बताया गया। इंतजार के बाद निराश ग्रामीण वापस लौट गए। इस तरह की अराजकता को लेकर भी जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे हुए हैं। बाद में बताया गया कि इन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ गई है। इस अव्यवस्था से ग्रामीण आहत हैं। उनमें प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ आक्रोश है।

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ये है मामला

छीमी समेत आसपास के 111 ग्रामीणों के 19 सितंबर को आरटी पीसीआर जांच के लिए सैंपल लिए गए थे। आइवीआरआइ मुक्तेश्वर में सैंपलों की जांच हुई। 24 सितंबर को रिपोर्ट आई। सभी पॉजिटिव बताए गए थे। एक साथ इतने लोगों की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद हल्ला मच गया। बाद में बताया गया कि इनकी रिपोर्ट निगेटिव है।

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सीएमओ ने बताया, ऐसे आई निगेटिव रिपोर्ट

सीएमओ डॉ. भागीरथी जोशी ने बताया कि एक बार जांच होने के बाद भी स्वैब को प्रिजर्व कर लेते हैं। कई बार संदेह होने पर दोबारा जांच होती है। इससे दोबारा टेस्ट किया जा सकता है। कुछ सैंपल मेडिकल कॉलेज वायरोलॉजी लैब में भेजे गए थे।

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पहले ग्रामीणों को सड़क पर बुलाया और फिर उनके हाल पर छोड़ दिया गया। ऐसे में न ही स्वास्थ्य विभाग पर भरोसा हो पाएगा और न जांच रिपोर्ट पर। गलत रिपोर्ट देने वाली लैब को बंद कर देना चाहिए।

कार्तिक उपाध्याय, प्रदेश प्रवक्ता, युवा उक्रांद

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कोरोना महामारी के बीच पहाड़ के चार गांवों में जिस तरह के हालात पैदा कर दिए गए, यह चिंता का विषय है। 24 घंटे में रिपोर्ट बदलने के कारणों की जांच होनी चाहिए।

दयाल दानी, छीमी गांव

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इस घटना से ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीण डरे हुए हैं। जिस तरह का माहौल बना दिया गया। अगर किसी तरह की अनहोनी हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होता?

भूपेश चंद्र

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मैं 31 अगस्त को दिल्ली से लौटा था। सात दिन होम क्वारंटाइन रहा। 15 सितंबर को पॉजिटिव पाया गया था। उसके बाद खैरना कोविड केयर सेंटर रखा। इसके बाद न कोई जांच हुई और न डिस्चार्ज स्लिप दी।

नवीन कुमार

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पॉजिटिव आने वाले कुछ लोगों को कोविड केयर सेंटर भेजा जाना था। इसलिए उन्हें बुलाया गया था। बाद में निर्णय हुआ कि जांच दोबारा होनी है। इसलिए थोड़ी देर इंतजार के बाद उन्हें घर जाने को बोल दिया गया था।

प्रतीक जैन, एसडीएम, कोश्याकुटौली

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टेस्टिंग में लापरवाही की होगी जांच

आइवीआरआइ मुक्तेश्वर की लैब में पहले पॉजिटिव आने और फिर निगेटिव आने के मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जवाब मांगा है। एसीएमओ डॉ. रश्मि पंत ने बताया कि आइवीआरआइ के निदेशक से पूरे प्रकरण पर रिपोर्ट मांगी गई है। साथ ही इसकी सूचना डीएम से लेकर स्वास्थ्य सचिव को दे दी गई है।


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