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कोरोना वायरस के कारण पाबंदियों से तंग चैकुनी के ग्रामीणों ने बहा दिया दूध

कोरोना का बढ़ते मामले को देखते हुए प्रशासन ने चंपावत जिले के चैकुनिबोर गांव को माइक्रो कंटेन्मेंट जोन बना दिया है। इसकोे लेकर ग्रामीणों में रोष।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 12:51 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 12:51 PM (IST)
कोरोना वायरस के कारण पाबंदियों से तंग चैकुनी के ग्रामीणों ने बहा दिया दूध
कोरोना वायरस के कारण पाबंदियों से तंग चैकुनी के ग्रामीणों ने बहा दिया दूध

चम्पावत, जेएनएन : कोरोना का बढ़ते मामले को देखते हुए प्रशासन ने चंपावत जिले के चैकुनिबोर गांव को माइक्रो कंटेन्मेंट जोन बना दिया है। इसकोे लेकर ग्रामीणों में रोष। गांव में कैद हो जाने से ग्रामीण न तो रोजगार कर पा रहे हैं और न ही दूध बेच पा रहे हैं। प्रशासन के रुख का विरोध करने के लिए ग्रामीणों ने रविवार को पूरा दूध बहाकर विरोध जताया।

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बता दें कि कुछ लोगों के कोरोना पाॅजिटिव पाए जाने के बाद माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए गए जिला मुख्यालय के निकटवर्ती ग्राम चैकुनी के लोग अब प्रशासनिक पाबंदियों से तंग आ चुके हैं। गांव के लोगों के बाहर जाने पर रोक लगाए जाने के वजह से उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरी आदि न कर पाने से जहां उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है, वहीं अब उनके पास खाने तक का राशन नहीं बचा है।

प्रशासन द्वारा गांव वालों का दूध खरीदने पर लगाई गई रोक की वजह से भी ग्रामीण खासे परेशान हैं। दूध की बिक्री न होने के विरोध के विरोध में ग्रामीणों ने आज दूध बहा कर रोष प्रकट किया। उन्होंने प्रशासन से उनके लिए राशन आदि का प्रबंध किए जाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि बाहर न जाने के चलते वह मजदूरी भी नहीं कर पा रहे हैं। दूध बेच कर किसी तरह उनकी गुजर बसर होती तो प्रशासन ने डेयरी बंद करा कर उसे भी रोक दिया है। उनके पास जो राशन था वह खत्म हो चुका है। अब उनके समक्ष दो वक्त की रोटी का संकट भी खड़ा हो गया।

उन्होंने कहा कि जब वह दूध बेच ही नहीं सकते तो इतने दूध का क्या करें, इसलिए वह दूध को बहा दे रहे हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना था कि पिछले कई दिनों से उनका दूध नहीं बिक रहा है। अब उनके पास दूध रखने के लिए बर्तन भी नहीं बचे हैं। ऐसे में वे करें तो क्या करें। वहीं ग्राम प्रधान निर्मला महर का कहना है कि गांव में अधिकांश परिवार गरीब और मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले हैं। उन्होंने अपने स्तर से हरसंभव मदद की है। अब वह भी लाचार हैं।

अगर प्रशासन गांव वालों की मदद के लिए आगे नहीं आता है तो वह इस्तीफा देने को विवश होंगी। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता महेश सिंह महर का कहना है कि चैकुनी गांव में की गई सैंपलिंग में सबकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। गर्भवती महिला व एक अन्य पाॅजिटिव ठीक होकर घर आ चुके हैं। अब प्रशासन को गांव में लगी पाबंदी हटा लेनी चाहिए। ताकि लोग रोजी रोटी कमान के लिए मजदूरी करने इधर उधर जा सकें।

दूध बहा कर विरोध प्रदर्शन करने वालों में नवीन सिंह, महेश सिंह, भीम सिंह, मोहन सिंह, राजेंद्र सिंह, सुनीता बोहरा, नैना बोहरा, किरन बोहरा, करन सिंह आदि शामिल रहीं। ग्रामीणों ने प्रशासन से सवाल किया है कि सैंपलिंग के बाद जब सबकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई है तो उनका दूध क्यों नहीं खरीदा जा रहा है।


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