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रामनगर में चार साल से खुला है एआरटीओ कार्यालय फिर भी हल्द्वानी का चक्कर लगा रहे वाहन संचालक

परिवहन विभाग को लोगों को सुविधा दिलाने के नाम पर रामनगर में एआरटीओ कार्यालय खोले हुए चार साल का समय हो चुका है लेकिन अब तक रामनगर परिक्षेत्र के एक भी पुराने वाहन के दस्तावेज ट्रांसफर नहीं किए गए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 04:24 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 04:24 PM (IST)
रामनगर में चार साल से खुला है एआरटीओ कार्यालय फिर भी हल्द्वानी का चक्कर लगा रहे वाहन संचालक
रामनगर में चार साल से खुला है एआरटीओ कार्यालय फिर भी हल्द्वानी का चक्कर लगा रहे वाहन संचालक

हल्द्वानी, जेएनएन : परिवहन विभाग को लोगों को सुविधा दिलाने के नाम पर रामनगर में एआरटीओ कार्यालय खोले हुए चार साल का समय हो चुका है, लेकिन अब तक रामनगर परिक्षेत्र के एक भी पुराने वाहन के दस्तावेज ट्रांसफर नहीं किए गए हैं। इससे एआरटीओ कार्यालय खुलने से पहले के वाहनों की फिटनेस आदि कामों के लिए हल्द्वानी के चक्कर काटना संचालकों की मजबूरी बन गया है। इससे लोगों के समय व धन दोनों की बर्बादी हो रही है।

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हल्द्वानी स्थित आरटीओ कार्यालय में रामनगर परिक्षेत्र के 25 हजार से अधिक वाहन पंजीकृत हैं। वहीं लोगों की सुविधा के लिए करीब चार साल पहले रामनगर में एआरटीओ कार्यालय खोल दिया था। अब तक पूर्व में आरटीओ हल्द्वानी में पंजीकृत वाहनों के कागजात ट्रांसफर नहीं करने से लोगों को फायदा नहीं पहुंच पा रहा है। रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के मीडिया प्रभारी नरेंद्र शर्मा के मुताबिक करीब साढ़े पांच हजार डंपर, ट्रक, टिप्पर, कैंटर, केमू बसें, आदर्श कंपनी की बसें समेत 300 जिप्सियां भी हल्द्वानी आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत हैं। इनके दस्तावेज अब तक रामनगर एआरटीओ कार्यालय में हस्तांरित नहीं किए गए हैं। इससे फिटनेस, टैक्स जमा करने के लिए वाहन स्वामियों को हल्द्वानी के चक्कर काटना मजबूरी बना हुआ है।

फिटनेस आदि कामों के लिए लोगों को चार से पांच दिन के चक्कर हल्द्वानी लगाने पड़ते हैं। इससे समय व धन दोनों की बर्बादी हो रही है। यही नहीं समय बचाने के लिए वाहन स्वामियों के दलालों की शरण में जाना मजबूरी बन चुका है। उन्होंने बताया कि रामनगर क्षेत्र के वाहनों के कागजात हल्द्वानी आरटीओ कार्यालय से हस्तांतरित करने की मांग परिवहन आयुक्त से लेकर आरटीओ हल्द्वानी से भी की चुकी है। लेकिन अब तक वाहनों के कागजात हस्तांतरित नहीं किए गए हैं। हर बार आरटीओ हल्द्वानी के अफसर स्टाफ की कमी का रोना रोकर अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर लेते हैं।


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