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सब्‍जी उत्‍पादन की यह तकनीकि है जोरदार, बिना मिट्टी और 80 फीसद कम पानी में उगा दी सब्जियां और सलाद

नैनीताल रोड पर हाइड्रोफोनिक तकनीक से बगैर मिट्टी के सब्जियां उगाई जा रही हैंं। हिमालयन ग्रींस नाम में इन पौधों को ऑटोमैटिक तरीके से पानी नमी हवा और धूप पहुंचाई जाती है। स्वचलित यंत्रों से पौधे की जरूरत के मुताबिक उसे पोषक तत्व मिलेंगे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 26 Mar 2021 08:21 AM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 05:50 PM (IST)
सब्‍जी उत्‍पादन की यह तकनीकि है जोरदार, बिना मिट्टी और 80 फीसद कम पानी में उगा दी सब्जियां और सलाद

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : नैनीताल रोड पर हाइड्रोफोनिक तकनीक से बगैर मिट्टी के सब्जियां उगाई जा रही हैंं। हिमालयन ग्रींस नाम में इन पौधों को ऑटोमैटिक तरीके से पानी, नमी, हवा और धूप पहुंचाई जाती है। स्वचलित यंत्रों से पौधे की जरूरत के मुताबिक उसे पोषक तत्व मिलेंगे। खास बात यह है कि किसी तरह की अजैविक या जैविक खाद का इस्तेमाल नहीं होता। नई तरह की खेती करने वाले प्रमोद जैन व डा. सत्येन यादव का दावा है कि विज्ञानी तरीके से उत्तराखंड में पहली बार इस तरह सब्जियां तैयार की जा रही है। जिसमें पानी का खर्चा भी 80 प्रतिशत कम आता है।

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पंतनगर व कुमाऊं यूनिवर्सिटी के डीएसबी कैंपस में बॉटनी विभाग में बच्चों को पढ़ा चुके विज्ञानी डॉ. सत्येन यादव होर्टिकल्चर प्रोड्यूस मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट नोएडा से जुड़े हैं। इंस्टीट्यूट किसानों को बेहतर पैदावर तैयार करने के लिए तकनीकी ज्ञान देने के साथ कृषि कार्यों के लिए सरकार के साथ भी काम करता है। नैनीताल रोड स्थित वैशाली कॉलोनी निवासी प्रमोद जैन की केशवकुंज हाईवे पर स्थित जमीन पर उन्होंने हाइड्रोफोनिक तरीके से खेती की शुरूआत की है। संसाधन आदि उपलब्ध कराने का जिम्मा जैन का है। 

उन्होंने बताया कि फ्लैट बैड, ग्रो बैग, डच बकैट्स, ऐरो टावर में यह पौधे लगाए गए हैं। पौधें के नीचे मिट्टी नहीं बल्कि स्पंज का छोटा सा टुकड़ा लगा है। जिस वजह से जड़ों तक पानी पहुंचता है। वहीं, हाइड्रोफोनिक सिस्टम में पौधे को जितना पानी, हवा और नमी चाहिए वह सब यंत्रों से मिलेगी। जरूरत के हिसाब से पंखे व एग्जोस्ट चलेंगे, और पानी मिलेगा। पानी का पुन: इस्तेमाल कर जल संरक्षण भी किया जा रहा है। वहीं, इजरायल में इस्तेमाल होने वाला फांगर आद्र्रता की मात्रा को बैलेंस करता है।

 यह सब्जियां मिलेगी 

हिमालयन ग्रीन में लेटियस, ब्रोकली, पकचोई, बगैर बीज का खीरा, लाल व पीली शिमला मिर्च, स्ट्राबेरी, चेरी टमाटर के अलावा खाने में इस्तेमाल किए जाने वाली तुलसी, मीठी तुलसी, नींबू तुलसी, लैमन तुलसी, बैंगनी तुलसी आदि चीजों को तैयार किया गया है। अब जीरो साइज भिंडी भी लगाई जाएगी।

हर 30 दिन में पैदावर 

खास किस्म की नर्सरी में 11600 पौधे अभी लगाए गए हैं। हर तीस दिन में नई पैदावर तैयार हो जाती है। जो कि खेत के मुकाबले कम समय में तैयार हो रही है। फिलहाल सालाना ढाई टन उत्पादन हो रहा है। भविष्य में क्षमता को बढ़ाया जाएगा। दस अप्रैल को शहर के लोगों के लिए प्रदर्शनी लगा खास किस्म की सब्जियों व सलाद पत्ते की जानकारी दी जाएगी।

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