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हल्‍द्वानी में बेसहार लोगों की मददगार है युवाओं की टीम वंदे मातरम, सराहनीय है इनका काम

लाकडाउन में जब दुकानें बंद थी। रोजगार ठप होने से सैकड़ों प्रवासी शहर में फंस गए। ऐसे मुश्किल समय में वंदे मातरम ग्रुप की टोली उम्मीद लेकर लोगों के बीच पहुंची। किसी ने फोन किया कि दो बच्चों वाले परिवार के पास खाने के लिए कुछ नहीं है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 08:29 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 08:29 AM (IST)
हल्‍द्वानी में बेसहार लोगों की मददगार है युवाओं की टीम वंदे मातरम।

हल्द्वानी, गणेश पांडे : कहते हैं जब सभी रास्ते बंद हो जाते हैं, ईश्वर नया रास्ता दिखाता है। यही उम्मीद बेसहारों को नाउम्मीद नहीं होने देती। घुप अंधेरे में उम्मीद का उजाला लेकर कोई पहुंच जाता है। शहर के युवाओं का ऐसा ही संगठन है वंदे मातरम। जिसका काम है बेसहारों का सहारा और नाउम्मीदों की उम्मीद बनना। नेकी की यह उम्मीद पिछले साढ़े तीन साल से जारी है।

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कोरोना काल के शुरुआती लाकडाउन में जब दुकानें बंद थी। रोजगार ठप होने से सैकड़ों प्रवासी शहर में फंस गए। ऐसे मुश्किल समय में वंदे मातरम ग्रुप की टोली उम्मीद लेकर लोगों के बीच पहुंची। किसी ने फोन किया कि दो बच्चों वाले परिवार के पास खाने के लिए कुछ नहीं है। लाकडाउन की बंदिशों की वजह से वह घर से बाहर नहीं निकल सकते। तब युवाओं की टोली राशन के किट लेकर बताए पते पर पहुंच जाती। वंदे मातरम ग्रुप के संचालक शैलेंद्र दानू बताते हैं कि लाकडाउन में किसी का भी फोन आता उनकी टीम तत्काल मदद को पहुंच जाती थी। ऐसे लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए युवाओं ने प्रशासन से अनुमति ली थी। इस कारण जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने में किसी तरह की बाधा नहीं आई।

प्लाज्मा दान करने को किया प्रेरित

टीम वंदे मातरम ने रक्तदान के साथ मुहिम की शुरुआत की। शैलेंद्र दानू बताते कि चार साल पहले किसी रिश्तेदार को देखने वह सुशीला तिवारी अस्पताल गए थे। एक महिला को सड़क हादसे में घायल बेटे के लिए रक्तदाता नहीं मिल रहा था। तभी सोचा इसके लिए लोगों को जागरूक करेंगे। बाद में वाट्सएप ग्रुप बनाकर रक्तदाताओं को जोड़ा। कोरोना काल में जब प्लाज्मा दान करने पर मरीजों के ठीक होने की खबरें आई तो टीम भी इस काम में जुट गई। टीम के प्रोत्साहन से 80 लोगों ने प्लाज्मा दान किया।

कंपकंपाती सर्दी में बांटी गर्माहट

रोजी-रोटी की खातिर कई लोग शहर में किराये का रिक्शा चलाते हैं। फुटपाथ ऐसे लोगों का घर होता हैं। मांगकर खाने वाले कई लोग भी खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को विवश हैं। ऐसे लोगों को मदद पहुंचाने के लिए टीम वंदे मातरम जाड़ों में कंबल वितरित करती है। निस्वार्थ काम में शहर के लोगों का सहयोग मिलता है।

टीम में यह लोग शामिल

वंदे मातरम टीम में अभिनव वाष्र्णेय, वीर जोशी, भावना आर्य, सरत पाल आर्य, चंद्रशेखर परगांई, रवींद्र बिष्ट, प्रदीप गौतम, प्रमोद बिष्ट, विशाल चौधरी, अंकित टम्टा आदि जुड़े हैं।


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