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जैव रसायन के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा उत्‍तराखंड, भीमताल लैब से पंत विवि जांच के लिए भेजा गया रसायन

उत्तराखंड आने जैव रसायन के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने जा रहा है। कृषि विभाग ने भीमताल में स्थापित प्रयोगशाला में जैव रसायन का उत्पादन कर लिया है। जिसे पंतनगर विश्वविद्यालय में जांच के लिए भेजने के बाद वहां से रिपोर्ट आने के बाद लाइसेंस की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 12:17 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 05:24 PM (IST)
जैव रसायन के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा उत्‍तराखंड, भीमताल लैब से पंत विवि जांच के लिए भेजा गया रसायन
जैव रसायन के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा उत्‍तराखंड

भीमताल, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड आने वाले समय में जैव रसायन के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने जा रहा है। कृषि विभाग ने भीमताल में स्थापित प्रयोगशाला में जैव रसायन का उत्पादन कर लिया है। जिसे पंतनगर विश्वविद्यालय में जांच के लिए भेजने के बाद वहां से रिपोर्ट आने के बाद लाइसेंस की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

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आने वाले समय में यदि सब कुछ ठीक रहा तो भीमताल में व्यवसायिक रूप से जैव रसायन का उत्पादन होने लगेगा। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2010  से जैव रसायन के उत्पादन की प्रक्रिया जारी है। इसके तहत कुमाऊं में भीमताल और गढ़वाल में डकरानी में लैब को स्थापित करने के लिये कृषि विभाग ने कवायद शुरू की।

लैब में उत्पादन के लिये बड़े उपकरणों को निदेशालय ने खुद खरीद कर उपलब्ध कराया तो वहीं छोटे-छोटे लेमिनार फ्लो ओर रियरिंग केस सरीखे उपकरण जनपद स्तर पर ही खरीदे गए। वर्ष 2014 में इसके लिए निदेशालय कृषि विभाग ने भीमताल और डकरानी की लैब को संयुक्त रूप से 45 लाख की धनराशि अवमुक्त कर दी।

जैव रसायन उत्पादित करने के लिए कृषि विभाग ने कुमाऊं के भीमताल और गढ़वाल के डकरानी में अपनी लैब स्थापित की है। लैब में ड्राइकोडर्मा, सीडोमोनाज, व ट्राइकोकार्ड सरीखे जैव रसायन का प्रयोगशाला स्तर पर उत्पादन किया गया है। लैब के लिए सहायक कृषि अधिकारी के साथ-साथ तीन अधिकारियों की तैनाती की जा चुकी है। उत्तराखंड में जैव रसायन का उत्पादन नहीं होने के कारण कृषि विभाग बाहर के प्रदेश से जैव रसायन मंगा कास्तकारों को पचास प्रतिशत अनुदान में दे रहा है।

क्या है जैव रसायन

रसायनिक खादों से खेती की उर्वरा शक्ति साल दर साल क्षीण होती जा रही है। मिट्टी में सूक्ष्म तत्वों की कमी की वजह रसायनिक खादों व दवाओं को अंधाधुंध इस्तमाल ही है। ऐसे में कृषि विशेषज्ञ एवं विज्ञानी समय-समय पर जैविक खाद के इस्तमाल की वकालत कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर कुमाऊं और गढ़वाल में कास्तकारों को रसायनिक दवाओं के दुष्प्रभाव से बचाने व खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जैव रसायन की आवश्यकता है। 2010 में तत्कालीन और वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 54 लाख की राशि से निर्मित प्रयोगशाला का उद्घाटन किया था।

लाइसेंस मिलने पर होगा व्‍यावसयिक उत्‍पादन

मुख्य कृषि अधिकारी धनपत कुमार ने बताया कि प्रयोगशाला स्तर पर जैव रसायन को बनाया गया है। कई प्रक्रिया से गुजरने के बाद इसके व्यवसायिक उत्पादन के लिये प्रयोगशाला में बने जैव रसायन को दिल्ली की एक कंपनी को भेजा जा रहा है ताकि लाइसेंस की प्रक्रिया भी पूरी की जा सके। लाइसेंस के मिल जाने के बाद इसका व्यवसायिक उत्पादन भी किया जायेगा।

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