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उत्तराखंड परिवहन निगम तीन साल बाद भी शुरू नहीं कर सका कुमाऊं दर्शन यात्रा

उत्तराखंड रोडवेज की नई बसों में प्रदेश के धार्मिक और पर्यटन स्थलों की तस्वीर लोगों को काफी प्रभावित करती है। बर्फ से ढका हिमालय जागेश्वर धाम नैनीताल से लेकर काॅर्बेट के बाघ-गुलदार भी बसों में नजर आएंगे। मगर उत्तराखंड परिवहन निगम खुद अपनी कुमाऊं दर्शन सेवा को भूल चुका।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 07:00 AM (IST)
उत्तराखंड परिवहन निगम तीन साल बाद भी शुरू नहीं कर सका कुमाऊं दर्शन यात्रा
उत्तराखंड परिवहन निगम तीन साल बाद भी शुरू नहीं कर सका कुमाऊं दर्शन यात्रा

हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड रोडवेज की नई बसों में प्रदेश के धार्मिक और पर्यटन स्थलों की तस्वीर लोगों को काफी प्रभावित करती है। बर्फ से ढका हिमालय, जागेश्वर धाम, नैनीताल से लेकर काॅर्बेट के बाघ-गुलदार भी बसों में नजर आएंगे। इस प्रचार के पीछे का उद्देश्य था कि लोग इन जगहों के बारे में जानने के साथ यहां आने की कोशिश भी करें। जिससे राज्य के पर्यटन के साथ रोजगार भी बढ़ता। मगर उत्तराखंड परिवहन निगम खुद अपनी 'कुमाऊं दर्शन सेवा' को भूल चुका। कई अफसर आए और चले गए लेकिन बस दोबारा चलाने का वादा पूरा नहीं हुआ।

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मई 2017 में रोडवेज ने कुमाऊं दर्शन यात्रा के नाम से एक सेवा शुरू की थी। जिसमें काठगोदाम व हल्द्वानी डिपो की एक-एक बस शामिल थी। इस सेवा का मकसद लोगों को कुमाऊं के धार्मिक स्थलों के दर्शन कराना था। खुद परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने हरी झंडी दिखाकर पहली बस को रवाना किया था। मगर छह बाद ही यानी 2017 में रोडवेज ने इस सेवा को बंद कर दिया। जल्द संचालन का बयान तो कई अफसरों ने दिया मगर गाड़ी कोई नहीं दौड़ा सका।

इन धार्मिक स्थलों के होते थे दर्शन

कुमाऊं दर्शन के नाम से चलने वाली बस भीमताल, कैंचीधाम, अल्मोड़ा, कौसानी के बाद बैजनाथ पहुंचती थी। कौसानी में रात्रि विश्राम करवाया जाता था। यह बस हल्द्वानी होकर जाती थी। वहीं, नैनीताल स्टेशन से चलने वाली बस अल्मोड़ा, जागेश्वर, पाताल भुवनेश्वर और गंगोलीहाट तक पहुंचती थी। गंगोलीहाट में रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन इसी रूट से वापसी होती थी।

हफ्ते में तीन दिन संचालन

रोडवेज अफसरों के मुताबिक कुमाऊं दर्शन कराने वाली बस सप्ताह में तीन दिन हल्द्वानी से रवानगी करती थी। मंगलवार, शुक्रवार और रविवार को फिक्स टाइम रखा गया था। पहाड़ी सफर के हिसाब से 36 सीटर बस को ही दौड़ाया जाता था।

फिलहाल कोई आदेश नहीं

यह स्पेशल यात्रा कुशीराम के आरएम संचालन कुमाऊं रहते हुए शुरू हुई थी। उनकी रिटायरमेंट से पहले ही सेवा बंद कर दी गई। वहीं, वर्तमान आरएम यशपाल सिंह का कहना है कि फिलहाल कुमाऊं दर्शन सेवा शुरू करने को कोई आदेश नहीं आया।


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