सियासी फुटबॉल बनी उत्तराखंड एनसीसी अकादमी, वोट बैंक की राजनीति से उलझा मामला
उत्तराखंड में एनसीसी अकादमी का मामला सियासी फुटबॉल बन गया है। अकादमी की स्थापना होने का फैसला होने पर पूरे राज्य में एनसीसी कैडेट उत्साहित थे मगर वोट बैंक की राजनीति ने इस मामले को उलझा कर रख दिया है।
नैनीताल, किशोर जोशी: उत्तराखंड में एनसीसी अकादमी का मामला सियासी फुटबॉल बन गया है। अकादमी की स्थापना होने का फैसला होने पर पूरे राज्य में एनसीसी कैडेट उत्साहित थे मगर वोट बैंक की राजनीति ने इस मामले को उलझा कर रख दिया है। अब हाईकोर्ट ने अकादमी को टिहरी से पौड़ी शिफ्ट करने पर फिलहाल रोक लगा दी है मगर कोर्ट के सरकार के प्रार्थना पत्र पर टिहरी में ही अकादमी बनी रहने का आदेश रिकॉल होने से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बड़ा सियासी हथियार मिल गया है।
दरअसल मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उत्तराखंड को एनसीसी एकेडमी का तोहफा दिया था। पांच दिसम्बर 2016 को तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने देवप्रयाग के श्रीकोट माल्डा में देवप्रयाग से ही विधायक व शिक्षा मंत्री मंन्त्री प्रसाद नैथानी की उपस्थिति में इसकी आधारशिला रखी थी। अकादमी के लिए 29 करोड़ 32 लाख रुपये का बजट मंजूर किया गया था। 2017 में राज्य में भाजपा सरकार बनी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कैबिनेट ने इसे टिहरी के बजाय पौड़ी के देवार में स्थापित किये जाने का फैसला लिया। इस फैसले के विरोध में आंदोलन शुरू हो गया। करीब ढाई सौ दिन चला आंदोलन कोरोना महामारी की वजह से स्थगित कर दिया गया। जिसके बाद देहरादून निवासी पूर्व सैनिक गब्बर सिंह बंगारी हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
अगस्त में हुई थी जनहित याचिका निस्तारित
अकादमी की स्थापना को लेकर सरकार के रवैये ने ही इस मामले को सियासी फुटबॉल बनने दिया है। इसी साल अगस्त में हाईकोर्ट में सरकार के अधिवक्ता ने बयान दिया कि अकादमी टिहरी गढ़वाल में ही स्थापित की जाएगी। इस बयान के आधार पर जनहित याचिका निस्तारित कर दी गई थी।
आदेश रिकॉल कराने फिर पहुंची सरकार
टिहरी में ही एकेडमी स्थापित करने की सरकार की सहमति के आधार पर जनहित याचिका निस्तारण होने से विपक्ष समेत टिहरी के लोगों ने आंदोलन की जीत बताया तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सफाई दी कि अकादमी पौड़ी में ही बनेगी। सरकार इसको लेकर अडिग है औऱ कांग्रेस सरकार ने हवा हवाई फैसला किया था। जल्द हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। जिसके बाद सरकार की ओर से टिहरी में ही अकादमी बनाने संबंधी आदेश के लिए रिकॉल एप्लिकेशन दाखिल की गई। शुक्रवार को कार्यवाहक चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में सरकार ने शपथपत्र देकर कहा कि सरकारी अधिवक्ता ने भूलवश टिहरी डीएम से जानकारी ली थी, पौड़ी डीएम याचिका में पक्षकार नहीं थे, इस वजह से पौड़ी में एकेडमी स्थापित करने की जानकारी नहीं मिली। सरकार के इस स्टेटमेंट के बाद कोर्ट ने पुराना आदेश रिकॉल कर दिया मगर फिलहाल दो सप्ताह तक अकादमी की टिहरी से पौड़ी शिफ्ट करने पर रोक लगा दी। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
फिर सियासी घमासान तय
सरकार की रिकॉल एप्लिकेशन के बाद हाईकोर्ट के फैसले पर फिर से सियासी घमासान छिड़ना तय है। युवाओं के साथ ही राजनीतिक रूप से अहम दो जिलों से जुड़ा मामला होने की वजह से इस मुद्दे पर सरकार व विपक्ष में सियासी फुटबॉल खेलने की बिसात बिछ चुकी है। मगर इस विवाद की वजह से यह अकादमी 2016 में घोषणा के साथ ही सियासी फुटबॉल बनी हुई है।
उत्तराखंड अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगा राज्य है। राज्य में एनसीसी अकादमी खुलने से रोजगार के अवसर बढ़ते मगर भाजपा सरकार अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले पर राजनीति कर रही है। सरकार को इसका खामियाजा भुगतना होगा। -मथुरादत्त जोशी, पूर्व मुख्य प्रवक्ता कांग्रेस।