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उत्तराखंड ग्रामीण बैंक का यस बैंक में फंसा चार करोड़ का चेक, 50 हजार से अधिक निकाल नहीं सकते

यस बैंक के खिलाफ आरबीआइ की ओर वसे लिए गए एक्शन के बाद अब इस बैंक से जुड़े उत्तराखंड के अन्य बैंकों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 08:49 AM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 08:49 AM (IST)
उत्तराखंड ग्रामीण बैंक का यस बैंक में फंसा चार करोड़ का चेक, 50 हजार से अधिक निकाल नहीं सकते
उत्तराखंड ग्रामीण बैंक का यस बैंक में फंसा चार करोड़ का चेक, 50 हजार से अधिक निकाल नहीं सकते

हल्द्वानी, जेएनएन : यस बैंक के खिलाफ आरबीआइ की ओर से लिए गए एक्शन के बाद अब इस बैंक से जुड़े उत्तराखंड के अन्य बैंकों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है। उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के ही करीब चार करोड़ रुपये फंसे हैं। आरबीआइ ने यस बैंक के खातों से निकासी की सीमा घटाई है और ग्राहकों को चेक क्लीयरेंस की सुविधा बंद हो गई है। इससे अन्य बैंकों से जुड़े ग्राहकों का धन भी अटका है।

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यस बैंक के माध्‍यम से प्रदान करते थे सेवाएं

नैनीताल जिला सहकारी बैंक, कूर्मांचल नगर सहकारी बैंक, उत्तराखंड ग्रामीण व राज्य सहकारी बैंक अपने ग्राहकों को यस बैंक के माध्यम से तमाम सेवाएं प्रदान करते हैं। जिसके लिए इन बैंकों की ओर से यस बैंक में अपने टर्न ओवर के हिसाब से राशि जमा की गई थी। आरबीआइ की ओर से पांच मार्च 2020 को यस बैंक से निकासी पर लगाई गई रोक से इस बैंक में रखी गई अन्य बैंकों की रकम भी अटक गई है। साथ ही उन बैंकों के चेक भी फंस गए, जिन्होंने पांच मार्च 2020 को क्लीयरेंस के लिए यस बैंक में चेक जमा किए थे।

क्लियरेंस के लिए लगाए थे चेक

उत्तराखंड ग्रमीण बैंक के प्रबंधक टीआर टम्टा ने बताया कि अन्य बैंकों की तरह उत्तराखंड ग्रमीण बैंक भी यस बैंक के माध्यम से ग्राहकों को चेक क्लीयरेंस की सुविधा प्रदान करता है। जिसके तहत बैंक ने सामान्य दिनों की तरह पांच मार्च को भी क्लीयरेंस के लिए यस बैंक में करीब चार करोड़ की राशि का चेक जमा किया था। वहीं, निकासी पर लगी रोक से ग्रामीण बैंक के पैसे अटक गए हैं।

राज्य से जिला सहकारी बैंक में मची खलबली

यस बैंक पर कसी गई लगाम से राज्य से लेकर जिला सहकारी बैंकों में भी खलबली है। इन बैंकों में एक तरफ जहां मीटिंग की दौर जारी है, वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों से लेकर कर्मचारी तक यस बैंक से जुड़े किसी भी मुद्दे पर बात करने से बच रहे हैं। हालांकि बैंकों में पहुंच रहे ग्राहक भी बेचैन हैं।

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