खनन नीति पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद बैकफुट सरकार, आज दायर करेंगे पुनर्विचार याचिका
प्रतिस्पर्धी बोली के बजाय सिफारिश आधार पर खनन की अनुमति देना सरकार को महंगा पड़ गया। हाई कोर्ट नैनीताल ने इस प्रावधान को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की खनन नीति पर ही रोक लगा दी है।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : प्रतिस्पर्धी बोली के बजाय सिफारिश आधार पर खनन की अनुमति देना सरकार को महंगा पड़ गया। हाई कोर्ट नैनीताल ने इस प्रावधान को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की खनन नीति पर ही रोक लगा दी है। चुनाव से ठीक पहले हुए कोर्ट के आदेश से सरकार बैकफुट पर है। यही वजह है कि सरकार की ओर से रोक हटाने के लिए आज पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी।
राज्य सरकार ने 28 अक्टूबर 2021 को खनन नीति का नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसके विरोध में हल्द्वानी निवासी सतेंद्र तोमर ने याचिका दायर कर चुनौती दी। कहा है कि प्रदेश सरकार खनन नीति असंवैधानिक है। सरकार हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में पारित आदेश का उल्लंघन कर सिफारिश के आधार पर खनन के पट्टे आवंटित कर रही है। सिफारिशों के माध्यम से बनाए गए निजी खनन हितों के मुकाबले वर्तमान याचिकाकर्ता के लिए एक बड़ा मूल्य अंतर पैदा किया है।
याचिकाकर्ता के अनुसार उसे प्रति क्विंटल के लिए आधार मूल्य करीब 38 रुपये चुकाना पड़ रहा है, जबकि सिफारिश से स्वीकृत निजी हितों के लिए खनन सामग्री का मूल्य अल्प है। परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता को व्यापार में नुकसान के साथ ही बंद होने का सामना करना पड़ रहा है। इस नीति के कारण धीरे-धीरे अपने सभी खरीदारों को खो रहा है। याचिकाकर्ता के अनुसार 10 नवंबर 2021 को औद्योगिक विकास (खनन) जो प्रभावित आबादी और कृषि भूमि पर भी उचित प्रतिस्पर्धी ई-बोली का प्रावधान करता है, निजी खनन हितों को विशुद्ध रूप से सिफारिशों के आधार पर मनमाने ढंग से सौंपे जा रहे हैं।