हादसे के कारण व्हीलचेयर पर आई एथलीट गरिमा के इलाज का खर्च नहीं वहन कर रही सरकार
तीन साल पूर्व बंगलुरू में प्रशिक्षण के दौरान दुर्घटना में घायल धाविका गरिमा जोशी की सरकार सुध नहीं ले रही है। चुनाव करीब हैं लेकिन धाविका के उपचार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। धाविका के पिता पूरन जोशी ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : तीन साल पूर्व बंगलुरू में प्रशिक्षण के दौरान दुर्घटना में घायल धाविका गरिमा जोशी की सरकार सुध नहीं ले रही है। चुनाव करीब हैं लेकिन धाविका के उपचार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। धाविका के पिता पूरन जोशी ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। धाविका के उपचार के बाद अब तक 38 लाख रुपये के बिल लंबित हैं।
मूलरूप से छतगुल्ला (द्वाराहाट) निवासी गरिमा जोशी के नाम कई उपलब्धियां हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम किए। 31 मई 2018 को बंंगलूरु में अभ्यास के दौरान अज्ञात वाहन की टक्कर से गरिमा के जीवन पर दुखों का पहाड़ गिर गया। दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। जिसके बाद से अब तक गरिमा व्हीलचेयर पर है। लेकिन इसके बाद भी पहाड़ की बेटी ने हार नहीं मानी। गरिमा ने व्हीलचेयर दौड़ सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई पदक अपने नाम किए।
गरिमा के पिता का आरोप है कि सरकार ने आज तक उनकी सुध नहीं ली। 2019 में गरिमा की मां आशा देवी का कैंसर से देहांत हो चुका है। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने 2018 में गरिमा और उसकी माता दोनों के उपचार का पूरा खर्च सरकार की ओर से उठाने का वादा किया था। लेकिन इसके बाद सरकार पूरी तरह से हाथ खींच चुकी है।
पिता पूरन ने बताया कि हंस फाउंडेशन, गढ़वाल समेत राज्य के कई लोगों ने उपचार में मदद को हाथ बढ़ाए। अब तक धाविका के उपचार में 51 लाख का खर्चा आ चुका है। लेकिन सरकार की ओर से सिर्फ 13 लाख के ही बिल पास हुए। 38 लाख के बिल लंबित हैं। गरिमा के पिता ने पिछले कुछ दिन पहले भी सीएम कार्यालय में बिल दिए लेकिन अब तक कोई सहयोग नहीं मिला।