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चम्पावत और लोहाघाट के भाजपा विधायक एक दूसरे के खिलाफ लड़ चुके हैं चुनाव

लोहाघाट सीट से कैलाश गहतोड़ी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में और पूरन फत्र्याल ने बसपा से चुनाव लड़ा था। यह बात अलग है कि दोनों चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह माहरा ने जीत दर्ज की थी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 11:36 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 11:36 AM (IST)
चम्पावत और लोहाघाट के भाजपा विधायक एक दूसरे के खिलाफ लड़ चुके हैं चुनाव
विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी और पूरन सिंह फत्र्याल वर्ष 2002 में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : विधान सभा क्षेत्र चम्पावत से भाजपा के वर्तमान विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी और लोहाघाट सीट से विधायक पूरन सिंह फत्र्याल वर्ष 2002 में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। लोहाघाट सीट से कैलाश गहतोड़ी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में और पूरन फत्र्याल ने बसपा से चुनाव लड़ा था। यह बात अलग है कि दोनों चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह माहरा ने जीत दर्ज की थी। बाद में गहतोड़ी और फत्र्याल दोनों भाजपा में शामिल हो गए थे। पूरन सिंह फत्र्याल भाजपा से वर्ष 2012 और 2017 का चुनाव जीत चुके हैं तो कैलाश गहतोड़ी वर्ष 2017 में चम्पावत की सीट भाजपा की झोली में डाल चुके हैं।

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राजनीति में स्वाभाविक माने जाने वाले दल बदल का खेल में वर्तमान में लोहाघाट के विधायक पूरन सिंह फत्र्याल भी शामिल रहे हैं। फत्र्याल कभी बहुजन समाज पार्टी के हुआ करते थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। पूरन सिंह फत्र्याल ने वर्ष 2002 में लोहाघाट सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें 3,432 मतों के साथ चौथे नंबर पर रहना पड़ा था। इस चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के कृष्ण चंद्र पुनेठा को 7,138 वोट पड़े थे। उक्रांद के एडवोकेट नवीन मुरारी 6,609 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। यह चुनाव कांग्रेस के महेंद्र सिंह माहरा ने जीता था। माहरा 7,648 वोट मिले थे।

दिलचस्प बात यह है कि इसी चुनाव में वर्तमान में चम्पावत से भाजपा के विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी निर्दलीय चुनाव लड़े थे। उन्हें 2,767 वोट मिले थे और वे पांचवें स्थान पर रहे थे। चुनाव हारने के बाद गहतोड़ी ने भी भाजपा का दामन थाम लिया और पार्टी ने उन्हें वर्ष 2017 में चम्पावत सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को हराया था। वर्ष 2002 के चुनाव में 13 प्रत्याशी मैदान में थे।

अतीत के आइने से जुड़ा एक और रोचक तथ्य यह भी है कि वर्तमान में चम्पावत के विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ललित मोहन पांडेय भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में वर्ष 2002 में ही पूरन सिंह फत्र्याल और कैलाश गहतोड़ी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन पांडेय को महज 345 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। वर्तमान में कांग्रेस से चम्पावत सीट से दावेदारी करने वाले हरगोङ्क्षवद बोहरा भी 2002 में लोहाघाट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें 1,614 वोट मिले थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। इस वक्त वे चम्पावत सीट से कांग्रेस केप्रबल दावेदारों में शामिल हैं।

गहतोड़ी चम्पावत से और फत्र्याल लोहाघाट से है भाजपा प्रत्याशी

अतीत में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके चम्पावत के विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी और लोहाघाट के विधायक पूरन सिंह फत्र्याल को इस बार भी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। गहतोड़ी को चम्पावत सीट से लगातार दूसरी बार टिकट मिला है तो फत्र्याल को लगातार तीसरी बार पार्टी ने लोहाघाट से अपना प्रत्याशी बनाया है।


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