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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बधाई फोन काल के बाद भी गुटबाजी का शिकार हुए महेश शर्मा

पूर्व दर्जा राज्यमंत्री रहे महेश शर्मा को कांग्रेस का जमीनी नेता माना जाता है। वह कालाढूंगी विधानसभा सीट पर लंबे समय से जमे थे। 2012 और 2017 में भी वह टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन पार्टी ने सुध नहीं ली। दोनों चुनाव में उन्होंने निर्दलीय ही दम दिखाया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 07:39 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 07:39 AM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बधाई फोन काल के बाद भी गुटबाजी का शिकार हुए महेश शर्मा
कांग्रेस प्रदेश महासचिव महेश शर्मा को सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फोन कर बधाई दी थी।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : वकालाढूंगी विधानसभा सीट से दो बार निर्दलीय चुनाव लड़कर अपना दम दिखा चुके कांग्रेस प्रदेश महासचिव महेश शर्मा को सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फोन कर बधाई दी थी। उसके बावजूद वह गुटबाजी का शिकार हो गए और दिल्ली में हुई मुख्य चुनाव समिति की बैठक में अचानक समीकरण बदलने पर पार्टी ने पूर्व सांसद महेंद्र पाल पर दांव खेल दिया। जिस वजह से कालाढूंगी सीट पर महेश शर्मा के समर्थकों में मायूसी के साथ नाराजगी भी है।

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पूर्व दर्जा राज्यमंत्री रहे महेश शर्मा को कालाढूंगी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का जमीनी नेता माना जाता है। 2012 और 2017 में भी वह टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने सुध नहीं ली। जिसके बाद दोनों चुनाव में उन्होंने निर्दलीय ही दम दिखाया। 2017 के चुनाव बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्व. इंदिरा हृदयेश के प्रयासों से वह पार्टी में शामिल हुए थे। तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने उनकी स्थिति को देखते हुए भविष्य में टिकट का आश्वासन भी दिया था। जिसके बाद से शर्मा ने क्षेत्र में सक्रियता को और बढ़ाया। कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में सरकार के खिलाफ हर आंदोलन की अगुवाई भी की।

2022 में दावेदारी को लेकर पार्टी की तरफ से वह आश्वस्त भी थे। हरीश रावत से लेकर प्रीतम खेमा भी उनकी दावेदारी को लेकर सहयोग की भूमिका में था। उसके बावजूद टिकट नहीं मिलना चौंकाता है। सूत्रों की माने तो प्रीतम सिंह खेमा पूरी तरह उनके समर्थन में आया, लेकिन हरदा गुट ने भविष्य की स्थिति का आंकलन कर जरूरत के मुताबिक पैरवी नहीं की। दो चुनाव में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी के विरोधी रहे महेश शर्मा अंत में बड़े नेताओं की गुटबाजी के शिकार हो गए।


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