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चम्पावत सीट से कांग्रेस ने पांचवीं बार क्यों हेमेश खर्कवाल को बनाया उम्मीदवार

हेमेश खर्कवाल जिला एवं राज्य स्तर पर पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। हरीश रावत सरकार में वे संसदीय ममचपकार्यमंत्री थे। हरीश रावत के करीबी होने व विधान सभा में कोई मजबूत चेहरा न होने के कारण कांग्रेस ने पांचवी बार हेमेश को टिकट दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 03:20 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 03:20 PM (IST)
चम्पावत सीट से कांग्रेस ने पांचवीं बार क्यों हेमेश खर्कवाल को बनाया उम्मीदवार
वर्ष 2002 का चुनाव जीतने के बाद से ही हेमेश खर्कवाल लगातार कांग्रेस के प्रत्याशी रहे हैं।

संवाद सहयोगी, चम्पावत : कांग्रेस ने चम्पावत विधान सभा सीट से हेमेश खर्कवाल को लगातार पांचवी बार अपना प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2002 का चुनाव जीतने के बाद से ही वे लगातार कांग्रेस के प्रत्याशी रहे हैं। उन्होंने इस सीट से वर्ष 2012 में भी चुनाव जीता था। लेकिन 2007 और 2017 में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। अब पांचवी बार पार्टी ने उनपर दांव लगाया है। हेमेश के साथ नौ प्रत्याशी कांग्रेस से टिकट की दौड़ में थे, लेकिन उन्होंने सभी को पीछे छोड़ दिया। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के कैलाश गहतोड़ी ने 36,601 वोट हासिल करते हुए हेमेश खर्कवाल को 17,360 मतों से हराया था। हेमेश को 19,241 वोट मिले थे। इस बार भी अब उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी कैलाश गहतोड़ी से होगा।

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हेमेश खर्कवाल जिला एवं राज्य स्तर पर पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। हरीश रावत सरकार में वे संसदीय ममचपकार्यमंत्री थे। हरीश रावत के करीबी होने व विधान सभा में कोई मजबूत चेहरा न होने के कारण कांग्रेस ने पांचवी बार हेमेश को टिकट दिया है। विधायक रहते हुए पूर्व में किए गए विकास कार्यों और पार्टी के प्रति निष्ठा के चलते पार्टी का विश्वास उनपर हमेशा बना रहा।

राज्य बनने के बाद हुए पहले विधान सभा चुनाव में हेमेश खर्कवाल ने वर्ष 2002 में तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष एवं निर्दलीय प्रत्याशी मदन सिंह महराना को कांटे के मुकाबले में हराया था तब भाजपा के हयात सिंह माहरा तीसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन वर्ष 2007 में वे स्व. मदन सिंह महराना की पत्नी भाजपा की बीना महाराना से पराजित हो गए थे। वर्ष 2012 में हेमेश भाजपा प्रत्याशी हेमा जोशी को पराजित कर दूसरी बार विधायक बने थे। वर्ष 2017 में वे भाजपा के कैलाश गहतोड़ी से चुनाव हार गए। कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार कांग्रेस इस सीट पर किसी नए प्रत्याशी को टिकट देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

लगातार सक्रिय रहने का मिला इनाम

हेमेश खर्कवाल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के विश्वास पात्रों में शामिल रहे हैं। रावत से उनकी नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। रावत सरकार में उन्हें संसदीय कार्य राज्यमंत्री बनाया गया था। पांचवी बार टिकट मिलने का एक और कारण इस सीट से कोई दमदार चेहरा न होना तथा विधायक रहते उनके द्वारा किए गए कार्यों को बताया जा रहा है। मैदानी और पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं में उनकी पकड़ बराबर की है। विपक्ष में रहते हुए उन्होंने लगातार कांग्रेस सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की। बनबसा, टनकपुर के साथ वे चम्पावत के पर्वतीय क्षेत्रों में भी लगातार सक्रिय दिखे।

ऐसे मारी बाजी

दो बार विधान सभा चुनाव जीतने का अनुभव, मैदान और पहाड़ के मतदाताओं में अच्छी पकड़ टिकट पाने का आधार बना। जनता की समस्याओं को लेकर लगातार आंदोलनरत रहे। पार्टी कार्यकर्ताओं को भी लगातार संगठित रखने का प्रयास करते रहे। लगातार प्रत्याशी होने बनाए जाने से कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बाद भी उनका मुखर विरोध किसी ने नहीं किया।


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