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कालाढूंगी सीट पर नजर आई कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की गुटबाजी, प्रीतम के करीबी पूर्व सांसद महेंद्र पाल को मिला टिकट

डॉ महेन्द्र पाल पिथौरागढ़ के अस्कोट के पाल राजवंश से ताल्लुक रखते हैं। वह दिग्गज नेता एनडी तिवारी के आग्रह पर कांग्रेस में शामिल हुए थे। 2002 में नैनीताल लोकसभा सीट से उप चुनाव में डॉ पाल प्रत्याशी बनाये गए और एक लाख से अधिक वोटों से जीते थे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 11:13 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 11:13 AM (IST)
कांग्रेस डा. महेन्द्र पाल को कालाढूंगी से प्रत्याशी बनाया है।

नैनीताल, जागरण संवाददाता : कांग्रेस ने कालाढूंगी विधानसभा सीट से पूर्व सांसद डॉ महेंद्र पाल को प्रत्याशी घोषित कर कार्यकर्ताओं के साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। मूल रूप से नैनीताल निवासी डॉ पाल का हल्द्वानी में नैनीताल रोड व देवलचौड़ पर भी आवास है। पार्टी संगठन में दशकों से सक्रिय डॉ पाल दो दशक बाद चुनावी सियासत में उतरे हैं।

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कुमाऊं विवि के पहले छात्रसंघ अध्यक्ष डॉ पाल पिथौरागढ़ के अस्कोट के पाल राजवंश से ताल्लुक रखते हैं। कांग्रेस ने उनके भतीजे प्रदीप पाल को डीडीहाट में भाजपा के कद्दावर नेता बिशन सिंह चुफाल के खिलाफ उतारा है। पिछले लोकसभा चुनाव में नैनीताल ऊधम सिंह नगर से टिकट के दावेदार डॉ पाल को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उतारने के कारण मैदान से ही बाहर कर दिया गया। नाराजगी होने के कारण उसके बाद उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी चली लेकिन पाल शामिल नहीं हुए।

कांग्रेस में हमेशा हरीश रावत के विरोधी गुट में शामिल रहे डॉ पाल दिग्गज नेता एनडी तिवारी के आग्रह पर जनता दल छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। वह पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, नेता प्रतिपक्ष रही डॉ इंदिरा हृदयेश के भी करीबी रहे हैं। राज्य में पहली निर्वाचित कांग्रेस की सरकार में एनडी तिवारी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने नैनीताल लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया और उप चुनाव में डॉ पाल प्रत्याशी बनाये गए और एक लाख से अधिक वोटों से जीते।

उसके बाद 2007, 2012, 2017 के विधानसभा चुनाव में उनको कभी भीमताल, कभी तराई की किसी सीट से चुनाव लड़ाने की चर्चा चली लेकिन टिकट नहीं मिला। इस बार उन्होंने भीमताल से दावेदारी की थी। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह डॉ पाल को चुनावी सियासत में उतारने के इच्छुक रहे। पुराने संबंध की वजह से कांग्रेस के स्क्रीनिंग कमेटी चेयरमैन अविनाश पांडे ने ख़ुद पाल से संपर्क साधा था।

आसान नहीं है राह

कालाढूंगी से डॉ पाल को उतारने को कुछ राजनीतिक विश्लेषक मंन्त्री बंशीधर भगत को वॉकओवर देना मान रहे हैं। जबकि डॉ पाल का कहना है कि टिकट मिलने के बाद कोई दावेदार नाराज नहीं है। मंत्री के खिलाफ बहुत नाराजगी है। वह विधायक बने तो हर कार्यकर्ता विधायक बनेगा।


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