धारचूला में भाजपा के भीतर घमासान जारी, स्वामी विरेंद्रानंद का फोन अब भी स्विच आफ
धारचूला सीट पर भाजपा में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। धन सिंह धामी का टिकट मिलने के बाद से ही स्वामी यतीन्द्रानंद का फाेन स्विच आफ जा रहा है। वहीं भाजपा का कहना है कि पार्टी छोड़ने का दावा करने वले पहले ही निकाले जा चुके हैं।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : भाजपा में टिकट वितरण के साथ ही धारचूला विधानसभा क्षेत्र के मुनस्यारी में भाजपा कार्यकर्ताओं के इस्तीफे हो रहे हैं। भाजपा का कहना है कि इस्तीफा देने वालों को पहले से ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। इन लोगों ने पहले ही विपक्षी दलों के साथ सांठ गांठ कर पार्टी को नुकसान पहुंंचाने का प्रयास किया था।
भाजपा ने इस बार धन सिंह धामी को टिकट दिया है। टिकट की दौड़ में स्वामी विरेंद्रानंद और धन सिंह धामी थे । दोनों ने चुनाव के लिए विगत लंबे समय से कसरत की थी। स्वामी विरेंद्रानंद ने तो धारचूला क्षेत्र में कई धार्मिक अनुष्ठान कराए। शिव महोत्सव का तक आयोजन किया। बीते वर्ष क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को महामंडलेश्वर बनने के बाद वाहनों से हरिद्वार ले जाकर गंगा स्नान तक कराया था। भाजपा संगठन के भी कई कार्यक्रमों का संयोजन किया। 2017 का चुनाव लड़ चुके विरेंद्रानंद इस बार टिकट को लेकर आश्वस्त थे।
टिकट धन सिंह धामी को मिलने के बाद स्वामी विरेंद्रानंद मौन हैं। उनके फोन भी बंद हैं। उनकी किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आ रही है। वहीं मुनस्यारी में डेढ़ दर्जन के आसपास पदाधिकारी और कार्यकर्ता भाजपा छोड़ चुके हैं। उनका कहना है कि भाजपा सरकार ने मुनस्यारी की उपेक्षा की है जिसके चलते पार्टी छोड़ी है। शनिवार को भाजपा मंडल मुनस्यारी के अध्यक्ष विजय राणा ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि पार्टी से इस्तीफा देने वाले कार्यकर्ता पहले से भी भाजपा से निष्कासित हैं।
उन्होंने कहा कि लोस चुनाव और पंचायती चुनाव में पार्टी के खिलाफ कार्य करने के चलते इन लोगों को पार्टी से निकाला गया है। भाजपा मंडल अध्यक्ष का कहना है कि इस समय कांग्रेस के साथ मिल कर भाजपा को नुकसान पहुंचाने के लिए इस तरह का माहौल बना रहे हैं। कांग्रेस विधायक से पूर्व में ही अपने गले में माला पहनाने के बाद अब भाजपा से इस्तीफे का नाटक जनता भी समझ रही है।
दूसरी तरफ इस्तीफा देने वालों का कहना है कि यदि वह भाजपा से निष्कासित हैं तो उन्हें पद कैसे मिले हैं। भाजपा से इस्तीफा देने वाले कार्यकर्ताओं ने अपने इस्तीफे में सरकार पर मुनस्यारी की उपेक्षा का आरोप लगाया था। शनिवार को प्रेस से सम्पर्क कर जो संकेत दिए उससे पता चला कि स्वामी विरेंद्रानंद को टिकट नहीं मिलने से नाराजगी है। उनका कहना था कि 2017 के चुनाव में यदि सभी का साथ मिला होता तो भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीत रहे थे। उन्होंने इशारों में ही वर्तमान प्रत्याशी सहित अन्य भाजपा नेताओं पर भी 2017 के चुनावों में विरेंद्रानंद का सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया।