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उत्तराखंड चुनाव 2022: भाजपा ने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा, कांग्रेस खींचतान में ही उलझी

उत्तराखंड चुनाव 2022 भारतीय जनता पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में 59 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। वहीं कांग्रेस अब तक अब सीटों को लेकर वर्चस्व की जंग में ही उलझी हुई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 08:26 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 08:26 AM (IST)
उत्तराखंड चुनाव 2022: भाजपा ने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा, कांग्रेस खींचतान में ही उलझी
उत्तराखंड चुनाव 2022: भाजपा ने 70 सीटों वाले उत्तराखंड में 59 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उत्तराखंड चुनाव 2022: जुलाई में प्रदेश कांग्रेस की नई टीम बनाने के लिए कांग्रेस ने दिल्ली दरबार में लंबा मंथन किया था। इसके बाद उत्तराखंड में पंजाब फार्मूला लागू कर दिया। यानी प्रदेश अध्यक्ष के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी मिले। विधानसभा चुनाव के लिए टिकट फाइनल करने को लेकर भी यही स्थिति है। जबकि भगवा खेमे ने चेहरे घोषित करने में बाजी मार ली। सत्तारूढ़ भाजपा ने गुरुवार को 59 नामों की लिस्ट जारी कर दी। दूसरी तरफ कांग्रेस में अपनों के बीच खींचतान की वजह से भी मामला अटक रहा है। सूत्रों की मानें तो कई सीटों पर हरीश रावत और प्रीतम खेमे के बीच सहमति न होने से समय लग रहा है। अब संभावना शुक्रवार शाम तक बताई जा रही है।

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चुनाव में दमदार चेहरे उतारने के लिए कांग्रेस ने भाजपा से पहले प्रक्रिया शुरू कर दी थी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बाद एआइसीसी के भेजे पर्यवेक्षकों और प्रभारियों ने भी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली। जिसके बाद दिसंबर दूसरे हफ्ते में यह रिपोर्ट भेज भी दी गई। इसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने हर विधानसभा क्षेत्र में दावेदारों का पूरा इंटरव्यू भी लिया। तब प्रदेश नेतृत्व का दावा था कि 16 दिसंबर को दून में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के बाद एक लिस्ट जारी हो जाएगी, लेकिन लंबे मंथन के बावजूद अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं हो सके। केंद्रीय चयन समिति से लेकर हाईकमान के सामने भी प्रदेश के क्षत्रप पेश हो चुके हैं, लेकिन कुछ नामों को लेकर दोनों खेमों में एक राय नहीं होने के कारण अभी तक लिस्ट बाहर नहीं निकली। ऐसे में दावेदारों से लेकर कार्यकर्ताओं की धड़कनें भी तेज हो रही है।

विधानसभा क्षेत्र, जिले और लोकसभा क्षेत्रों की निगरानी हो चुकी

टिकट वितरण को लेकर कांगे्रस ने भाजपा से पहले तैयारी शुरू की थी। जिसके बाद पीसीसी से विधानसभा प्रभारी बनाकर भेजे गए। हर विधानसभा क्षेत्र में दो लोगों को यह जिम्मा दिया था। इसके बाद एआइसीसी ने विधानसभावार, जिलेवार और लोकसभा सीट के हिसाब से भी पर्यवेक्षक भेजे। परिवर्तन यात्रा से यह सिलसिला शुरू हो गया था।


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